कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
Aana | Kailash Manhar
आना | कैलाश मनहरआऊँगाबारिश से भीगे खेतों परक्वार की धूप बनकरचमकता-सा....आऊँगाथके हुए बदन की रगों मेंधारोष्ण दूध की तरहउफनता-सा....आऊँगारूठी हुई प्रेमिका की आँखों मेंम...
Raag Bhatiyali | Kunwar Narayan
राग भटियाली | कुँवर नारायण एक राग है भटियालीबाउल संगीत से जुड़ा हुआअंतिम स्वर को खुला छोड़ दिया जाता हैवायुमंडल में लहराता हुआजैसे संपूर्ण जीवन राग से युक्त हुई एक ध्व...