कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
Jeevan | Malay
जीवन/ मलयअथाह गहराइयों कीआँख सेदेखता हूँ ब्रह्मांडसतह परतैरता यह जीवनछोटे से छोटा है
Ichha | Shubha
इच्छा | शुभामैं चाहती हूँ कुछ अव्यवहारिक लोगएक गोष्ठी करेंकि समस्याओं को कैसे बचाया जाएउन्हें जन्म लेने दिया जाएवे अपना पूरा क़द पाएँवे खड़ी होंऔर दिखाई देंउनकी एक भाषा...