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Mere Ekant Ka Pravesh Dwar | Nirmala Putul
मेरे एकांत का प्रवेश-द्वार | निर्मला पुतुलयह कविता नहींमेरे एकांत का प्रवेश-द्वार हैयहीं आकर सुस्ताती हूँ मैंटिकाती हूँ यहीं अपना सिरज़िंदगी की भाग-दौड़ से थक-हारकरजब ...
Lafzon Ka Pul | Nida Fazli
लफ़्ज़ों का पुल | निदा फ़ाज़लीमस्जिद का गुम्बद सूना हैमंदिर की घंटी ख़ामोशजुज़दानों में लिपटे आदर्शों कोदीमक कब की चाट चुकी हैरंगगुलाबीनीलेपीलेकहीं नहीं हैंतुम उस जानिबम...
Ramayana Mein Mahabharat | Avtar Engill
रामायण में महाभारत | अवतार एनगिलरविवार की सुबहउस औरत नेबड़ी मुश्किल सेपति और बच्चों को जगायाकिसी को ब्रशकिसी को बनियानकिसी को तौलिया थमायाचूल्हे के सामने खड़ीजैसे चौखट...
Tumhare Bagair Ladna | Vihaag Vaibhav
तुम्हारे बग़ैर लड़ना | विभाग वैभव तुम्हारे जाने के बादमैं राह के पत्थर जितना अकेला रहाफिर एक दिन सिसकियों को एक खाली कैसेट में डालकरकिताबों के बीच छिपा दियाबहुत से लोग ...
Sitaron Se Ulajhta Ja Raha Hun | Firaq Gorakhpuri
सितारों से उलझता जा रहा हूँ | फ़िराक़ गोरखपुरीसितारों से उलझता जा रहा हूँशब-ए-फ़ुरक़त बहुत घबरा रहा हूँयक़ीं ये है हक़ीक़त खुल रही हैगुमाँ ये है कि धोखे खा रहा हूँइन्ह...
Aapke Liye | Ajay Durgyey
आपके लिए | अजय दुर्ज्ञेय आप यहां से जाइये!आप जब मेरी कविताएँ सुनेंगेतो ऐसा लगेगा कि जैसेकोई दशरथ-मांझी पहाड़ परबजा रहा हो हथौडेमैं जब बोलूंगातो आपको लगेगा किमैं आपके क...
Jab Teri Samundar Aankhon Mein | Faiz Ahmed Faiz
जब तेरी समुंदर आँखों में | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ये धूप किनारा शाम ढलेमिलते हैं दोनों वक़्त जहाँजो रात न दिन जो आज न कलपल-भर को अमर पल भर में धुआँइस धूप किनारे पल-दो-पलहोंटो...
Kabhi Kabhi Jeevan Mein | Laxmishankar Vajpeyi
कभी कभी जीवन में ऐसे भी क्षण आये | लक्ष्मीशंकर वाजपेयीकभी कभी जीवन में ऐसे भी कुछ क्षण आयेकहना चाहा पर होठों से बोल नहीं फूटे।महज़ औपचारिकता अक्सर होठों तक आयीरहा अनकह...
Jagah | Vishwanath Prasad Tiwari
जगह | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी खड़े-खड़े मेरे पाँव दुखने लगे थेथोड़ी-सी जगह चाहता था बैठने के लिएकलि को मिल गया थाराजा परीक्षेत का मुकुटमैं बिलबिलाता रहा कोने-अँतरेजगह, ...
Gar Humne Dil Sanam Ko Diya | Nazeer Akbarabadi
गर हम ने दिल सनम को दिया | नज़ीर अकबराबादीगर हम ने दिल सनम को दिया फिर किसी को क्याइस्लाम छोड़ कुफ़्र लिया फिर किसी को क्याक्या जाने किस के ग़म में हैं आँखें हमारी लालऐ...
Jis Ka Koi Intezaar Na Kar Raha Ho | Afzal Ahmed Sayyid
जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो/ अफ़ज़ाल अहमद सय्यदजिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा होउसे नहीं जाना चाहिएवापसआख़िरी दरवाज़ा बंद होने से पहलेजिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा होउस...
Ek Lamhe Se Doosre Lamhe Tak | Shaharyar
एक लम्हे से दूसरे लम्हे तक | शहरयारएक आहट अभी दरवाज़े पे लहराई थीएक सरगोशी अभी कानों से टकराई थीएक ख़ुश्बू ने अभी जिस्म को सहलाया थाएक साया अभी कमरे में मिरे आया थाऔर ...
Chidimaar Ne Chidiya Maari | Kedarnath Aggarwal
चिड़ीमार ने चिड़िया मारी | केदारनाथ अग्रवालहे मेरी तुम!चिड़ीमार ने चिड़िया मारी;नन्नी-मुन्नी तड़प गईप्यारी बेचारी।हे मेरी तुम!सहम गई पौधों की सेना,पाहन-पाथर हुए उदास;ह...
Gharaunde | Avtar Engel
घरौंदे | अवतार एनगिलसागर किनारेखेलते दो बच्चों नेमिलकर घरौंदे बनाएदेखते-देखतेलहरों के थपेड़े आएउनके घर गिराएऔरभागकर सागर में जा छिपेमाना, कि सदैव ऎसा हुआतो भीकिसी भी स...
Gaveshna | Aakash
गवेषणा | आकाश इस नुमाइश मे ईश्वर खोज रहा हूँ,बच्चों की मानिंद बौराया हुआ,इस दुकान से उस दुकान,उथली रौशनी की परिधि के भीतर,चमकीली भीड़ में घिरे,जहाँ केवल नीरसता और बीरा...
Char Aur Panktiyan | Prabhakar Machve
चार और पंक्तियाँ | प्रभाकर माचवेजब दिल ने दिल को जान लियाजब अपना-सा सब मान लियातब ग़ैर-बिराना कौन बचायदि बचा सिर्फ़ तो मौन बचा
Naavein | Naresh Saxena
नावें | नरेश सक्सेना नावों ने खिलाए हैं फूल मटमैलेक्या उन्हें याद है कि वे कभी पेड़ बनकर उगी थीं नावें पार उतारती हैंख़ुद नहीं उतरतीं पारनावें धार के बीचों-बीच रहना चाह...
Sundariyon | Nilesh Raghuvanshi
सुंदरियों | नीलेश रघुवंशी मत आया करो तुम सम्मान समारोहों मेंतश्तरी, शाल और श्रीफल लेकरदीप प्रज्वलन के समयमत खड़ी रहा करो माचिस और दीया -बाती के संगमंच पर खड़े होकर मत...
Nahi Dunga Naam | Nandkishore Acharya
नहीं दूँगा नाम | नंदकिशोर आचार्य नहीं दूँगा तुम्हें कोई नाम।जूही की कली,कलगी बाजरे की छरहरी,या और कुछ।नाम देना पहचान को जड़ करना हैमैं तो तुम्हेंहर बार आविष्कृत करता ह...
Rishtedari | Laxmishankar Vajpeyi
रिश्तेदारी | लक्ष्मीशंकर वाजपेयीनहीं, यह भी संभव नहीं होताकि उनके शहर जाकर भीजाया ही न जाय रिश्तेदारों के घरअकसर कुछ एहसान लदे होते हैंउनके बुज़ुर्गों के अपने बुज़ुर्गो...
Abbas Miyan | Neerav
अब्बास मियाँ | नीरव पंद्रह बीघे की खेती अकेले संभालने वाले अब्बास मियाँ हमारे हरवाहे थेहम काका कहते थे उन्हेंहम सुनते बड़े हुए थे काका खानदानीशहनाई वादक थेअपने ज़माने म...
Kya Kaam | Manglesh Dabral
क्या काम | मंगलेश डबरालआप दिखते हैं बहुत उदासआपको इस शहर में क्या कामआपके भीतर भरा है ग़ुस्साआपको इस शहर में क्या कामआप सफलता नहीं चाहतेनहीं चाहते ताक़तजो मिल जाए उसे छ...
Mera Aangan Mera Ped | Javed Akhtar
मेरा आँगन, मेरा पेड़ | जावेद अख़्तरमेरा आँगनकितना कुशादा फैला हुआ कितना बड़ा थाजिसमेंमेरे सारे खेलसमा जाते थेऔर आँगन के आगे था वह पेड़कि जो मुझसे काफ़ी ऊँचा थालेकिनमुझ...
Balshram | Pawan Sain Masoom
बालश्रम| पवन सैन मासूम छणकु साफ़ कर रहा है चाय के झूठे गिलासइसलिए नहीं कि उसके नन्हें हाथसरलता से पहुँच पा रहे हैं गिलास की तह तकबल्कि इसलिए किउसके घर में भी हों झूठे ...
Makaan Ke Upari Manzil Par | Gulzar
मकान की ऊपरी मंज़िल पर | गुलज़ारवो कमरे बंद हैं कब सेजो चौबीस सीढ़ियां जो उन तक पहुँचती थी, अब ऊपर नहीं जातीमकान की ऊपरी मंज़िल पर अब कोई नहीं रहतावहाँ कमरों में, इतना...
Rachta Vriksh | Raghuvir Sahay
रचता वृक्ष | रघुवीर सहाय देखो वक्ष को देखो वह कुछ कर रहा है।किताबी होगा कवि जो कहेगा कि हाय पत्ता झर रहा हैरूखे मुँह से रचता है वृक्ष जब वह सूखे पत्ते गिराता हैऐसे कि ...
Varsh Ke Sabse Kathin Dinon Mein | Kedarnath Singh
वर्ष के सबसे कठिन दिनों में | केदारनाथ सिंहअगर धीरे चलोवह तुम्हें छू लेगीदौड़ो तो छूट जाएगी नदीअगर ले लो साथवह चलती चली जाएगी कहीं भीयहाँ तक - कि कबाड़ी की दुकान तक भी...
Manikarnika Ka Bashinda | Gyanendrapati
मणिकर्णिका का बाशिंदा | ज्ञानेन्द्रपति साढ़े तीन टाँगों वाला एक कुत्तामणिकर्णिका का स्थायी बाशिंदा हैलकड़ी की टालों और चायथानों वालों से हिलगायह नहीं कि दुत्कारा नहीं जा...
Ek Aur Akaal | Kedarnath Singh
एक और अकाल | केदारनाथ सिंहसभाकक्ष मेंजगह नहीं थीतो मैंने कहा कोई बात नहींसड़क तो हैचल तो सकता हूँसो, मैंने चलना शुरू कियाचलते-चलते एक दिनअचानक मैंने पायामेरे पैरों के...
Lakkadhare Ki Peeth | Anuj Lugun
लकड़हारे की पीठ | अनुज लुगुनजलती हुई लकड़ियों कागट्ठर है मेरी पीठ परऔर तुममुझे बाँहों में भरना चाहती होमैं कहता हूँ—तुम भी झुलस जाओगीमेरी देह के साथ।