Displaying 1 - 20 of 877 in total
Agni Desh Se Aata Hun Main | Harivansh Rai Bachchan
अग्नि देश से आता हूँ मैं | हरिवंशराय बच्चनअग्नि देश से आता हूँ मैं!झुलस गया तन, झुलस गया मन,झुलस गया कवि-कोमल जीवन,किंतु अग्नि वीणा पर अपने, दग्ध कंठ से गाता हूँ मैं!...
Pret Lok Mein | Maksim Tank | Translation - Ramesh Kaushik
प्रेत लोक में/ मक्सिम तान्कअनुवाद: रमेश कौशिकएक बार मैंप्रेत-लोक में गयादांते के संगउसके अँधियारे घेरों मेंघूम रहे थे हमतभी कवि रुक गयाअचम्भे में आविश्वास नहीं थाजो कु...
Bura Kshan | Rafael Alberti | Jeetendra Kumar
बुरा क्षण/ रफ़ाइल अलबर्तीअनुवाद : जितेंद्र कुमारउन दिनों जब मैं सोचा करता थाकि गेहूँ के खेतों में देवताओं और सितारों का निवास हैऔर कुहरा हिरनी की आँख का आँसूकिसी ने मेर...
Bairang Benaam Chithiyaan | Ramdarash Mishra
बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ | रामदरश मिश्रकब सेयह बैरंग बेनाम चिट्ठी लिये हुएयह डाकिया दर-दर घूम रहा है कोई नहीं है वारिस इस चिट्ठी काकौन जानेकिसका अनकहा दर्दकिसके नामइस बन्...
Jeevan | Malay
जीवन/ मलयअथाह गहराइयों कीआँख सेदेखता हूँ ब्रह्मांडसतह परतैरता यह जीवनछोटे से छोटा है
Ichha | Shubha
इच्छा | शुभामैं चाहती हूँ कुछ अव्यवहारिक लोगएक गोष्ठी करेंकि समस्याओं को कैसे बचाया जाएउन्हें जन्म लेने दिया जाएवे अपना पूरा क़द पाएँवे खड़ी होंऔर दिखाई देंउनकी एक भाषा...
Ishq Mein Referee Nahi Hota | Gulzar
इश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता! | गुलज़ारइश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता‘फ़ाउल’ होते हैं बेशुमार मगर‘पेनल्टी कॉर्नर’ नहीं मिलता!दोनों टीमें जुनूँ में दौड़ती, दौड़ाए रहती है...
Unka Ghar | Hemant Deolekar
उनका घर | हेमंत देवलेकर आग बरसाती दोपहर मेंतगारियाँ भर- भर करमाल चढ़ा रहे हैं जो ऊपर घर मेरा बना रहे हैं।जिस छत को भरते हैंअपने हाड़ और पसीने सेवे इसकी छाँव में सुस्तान...
Prateeksha Mein Prem | Chitra Pawar
प्रतीक्षा में प्रेम | चित्रा पंवारनीलगिरि की पहाड़ीबारह बरस बादनीलकुरिंजी के खिलने पर हीकरती हैअपनी देह का शृंगारवह नहीं जाती चंपा, चमेली, गुलाब के पासअपने यौवन का सौं...
Chipche Doodh Se Nahlate Hain | Gulzar
चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें | गुलज़ारचिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हेंशहद भी, तेल भी, हल्दी भी, न जाने क्या क्याघोल के सर पे ...
Raat Kisi Ka Ghar Nahi | Rajesh Joshi
रात किसी का घर नहीं | राजेश जोशीरात गए सड़कों पर अक्सर एक न एक आदमी ऐसा ज़रूर मिल जाता हैजो अपने घर का रास्ता भूल गया होता हैकभी-कभी कोई ऐसा भी होता है जो घर का रास्ता...
Chipe Raho Bheetar Hi | Nilesh Raghuvanshi
छिपे रहो भीतर ही | नीलेश रघुवंशी फर्स्ट अप्रैल, शनिवार, 2000, आधी रातकुछ-कुछ हो रहा है मुझे, शायद तुम अब आने वाले होसारी दुनिया के बच्चे, सबके सो जाने के बाद ही, क्यों...
Dincharya | Shrikant Verma
दिनचर्या | श्रीकांत वर्माएक अदृश्य टाइपराइटर पर साफ़, सुथरेकाग़ज़-साचढ़ता हुआ दिन,तेज़ी से छपते मकान,घर, मनुष्यऔर पूँछ हिला गली से बाहर आताकोई कुत्ता।एक टाइपराइटर पृथ्...
Badka Bhaiyya | Rupam Mishra
बड़का भइया | रूपम मिश्र बड़का भइया मेरी मझिगवां वाली दीदी के चचेरे भाई हैंउनकी पीढ़ी में सबसे बड़े और पट्टीदारी में सबसे मातिवर दीदी की हर सुंदर बात में बड़का भइया होते है...
Pyaas | Ramdarash Mishra
प्यास | रामदरश मिश्र खड़ा हूँ नदी के किनारे प्यासा-प्यासाजल के पास होकर भी जल नहीं पी पा रहा हूँमैने पूछा-"तुमने अपने पानी का यह क्या रूप बना दिया है नदी?”नदी दर्द से ...
Daro | Ghanshyam Kumar Devansh
डरो | घनश्याम कुमार देवांशडरोलेकिन ईश्वर से नहींएक हारे हुए मनुष्य सेसूर्य से नहींआकाश की नदी में पड़े मृत चंद्रमा सेभारी व वज्र कठोर शब्दों से नहींउनसे जो कोमल हैं और...
Jab Dost Ke Pita Marey | Kumar Ambuj
जब दोस्त के पिता मरे | कुमार अम्बुजबारिश हो रही थी जब दोस्त के पिता मरेभीगते हुए निकली शवयात्राबारिश की वजह से नहीं आए ज़्यादा लोगजो कंधा दे रहे थे वे एक तरफ़ से भीग र...
Itvaar | Anup Sethi
इतवार | अनूप सेठीआओ इतवार मनाएँदेर से उठेंचाय पिएँऔर चाय पिएँअख़बार को सिर्फ़ उलट पलट लेंहाथ न लगाएंसिर्फ़ चाय का गिलास घुमाएँकिसी को न बुलाएँनहाना भी छोड़ देंखाना अकेले ...
Jitne Sabhya Hotey Hain | Vinod Kumar Shukla
जितने सभ्य होते हैं | विनोद कुमार शुक्लजितने सभ्य होते हैंउतने अस्वाभाविक।आदिवासी जो स्वाभाविक हैंउन्हें हमारी तरह सभ्य होना हैहमारी तरह अस्वाभाविक ।जंगल का चंद्रमाअसभ...
Gumshuda Guldaste | Adnan Kafeel Darwesh
गुमशुदा गुलदस्ते | अदनान कफ़ील दरवेश कुछ पेड़ हैं वहाँपानी की तरह ठोसऔर हवा की तरह नर्मऔर आसमान-से हल्के-गुलाबीफूल उनमें खिलतेकाँटों-से बेशुमारदहकते शोलों-सेदूर से चमकत...