Purani Haveli | Khagendra Thakur

पुरानी हवेली | खगेंद्र ठाकुर

इस हवेली से
गाँव में आदी-गुड़ बंटे
सोहर की धुन सुने
बहुत दिन हो गए
 
इस हवेली से
सत्यनारायण का प्रसाद बंटे
घड़ी-घंट की आवाज सुने
बहुत दिन हो गए
 
इस हवेली से
किसी को कन्धा लगाए
राम नाम सत है- सुने
बहुत दिन हो गए
 
इस हवेली की छत पर
उग आई है बड़ी-बड़ी घास
आम, पीपल आदि उग आये हैं
पीढ़ियों की स्मृति झेलती
जर्जर हवेली का सूनापन देख
ये सब एकदम छत पर चढ़ गए हैं.
 
इस हरियाली के बीच
गिरगिटों, तिलचिट्टों के सिवा
कोई नहीं है, कोई नहीं है।

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