Raahein | Narendra Sharma

राहें | नरेंद्र शर्मा

कुहरा छाया है गिरि-वन पर,
गिरि-शिखरों पर;

नहीं रहा आकाश आज आकाश,
घिरे हैं बादल धौरे;

मैं नीचे समतल पठार पर
चला जा रहा—

लेकिन ऊँचे तल की राहें
धुँधग्रस्त हैं!

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