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O Prithvi Tumhara Ghar Kahan Hai | Kedarnath Singh

ओ पृथ्वी तुम्हारा घर कहाँ है | केदारनाथ सिंह जीने के अथाह खनिजों से लदीऔर प्रजनन की अपार इच्छाओं से भरी हुईओ पृथ्वीओ किसी पहले आदमी कीपहली गोल लिट्टीकहीं अपने ही भीतर ...

Kavita Mein | Amita Prajapati

कविता में | अमिता प्रजापतिकितना कुछ कह लेते हैंकविता मेंसोच लेते हैं कितना कुछप्रतीकों के गुलदस्तों मेंसजा लेते हैं विचारों के फूलकविता को बाँध कर स्केटर्स की तरहबह ले...

Ajnabi Sham | Jaun Elia

अजनबी शाम | जौन एलियाधुँद छाई हुई है झीलों परउड़ रहे हैं परिंद टीलों परसब का रुख़ है नशेमनों की तरफ़बस्तियों की तरफ़ बनों की तरफ़अपने गल्लों को ले के चरवाहेसरहदी बस्ति...

Der Ho Jayegi | Ashok Vajpeyi

देर हो जाएगी | अशोक वाजपेयीदेर हो जाएगी-बंद हो जाएगी समय से कुछ मिनिट पहले हीउम्मीद की खिड़कीयह कहकर कि गाड़ी में अब कोई सीट ख़ाली नहीं।देर हो जाएगीकड़ी धूप और लू के थप...

Sau Baaton Ki Ek Baat | Ramanath Awasthi

सौ बातों की एक बात - रमानाथ अवस्थी सौ बातों की एक बात है.रोज़ सवेरे रवि आता हैदुनिया को दिन दे जाता हैलेकिन जब तम इसे निगलताहोती जग में किसे विकलतासुख के साथी तो अनगिन...

Aanch | Vandana Mishra

आँच | वंदना मिश्रागर्मियों में तेज़ आँच देखकर माँ कहती थी :'आग अपने मायके आई है'और फिर चूल्हे की लकड़ियाँकम कर दी जाती थींमैं कहती थी :'मायके में तोउसे अच्छे से रहने दो...

Zooming | Ashfaq Hussain

ज़ूमिंग |अशफ़ाक़ हुसैनदेखूँ जो आसमाँ से तो इतनी बड़ी ज़मींइतनी बड़ी ज़मीन पे छोटा सा एक शहरछोटे से एक शहर में सड़कों का एक जालसड़कों के जाल में छुपी वीरान सी गलीवीराँ गली...

Pagli Arzoo | Nasira Sharma

पगली आरज़ू | नासिरा शर्माकहा था मैंने तुमसेउस गुलाबी जाड़े की शुरुआत मेंउड़ना चाहती हूँ मैं तुम्हारे साथखुले आसमान मेंचिड़ियाँ उड़ती हैं जैसे अपने जोड़ों के संगनापतीं ...

Hanso Ek Bachhe Ki Tarah | Amita Prajapati

हँसो एक बच्चे की तरह | अमिता प्रजापतितुम प्यार को पृथ्वीमान करमत घूमो हर्क्यूलिस की तरहमत झुकाओ इसके वज़न सेअपनी गर्दनधीरे से सरका के इसेगिरा लो अपने पैरों मेंउछालो गे...

Dhaar | Arun Kamal

धार | अरुण कमलकौन बचा है जिसके आगेइन हाथों को नहीं पसारायह अनाज जो बदल रक्त मेंटहल रहा है तन के कोने-कोनेयह क़मीज़ जो ढाल बनी हैबारिश सर्दी लू मेंसब उधार का, माँगा-चाहा...

Us Plumber Ka Naam Kya Hai | Rajesh Joshi

उस प्लम्बर का नाम क्या है | राजेश जोशी मैं दुनिया के कई तानाशाहों की जीवनियाँ पढ़ चुका हूँकई खूँखार हत्यारों के बारे में भी जानता हूँ बहुत कुछघोटालों और यौन प्रकरणों म...

Rang Is Mausam Mein Bharna Chahiye | Anjum Rehbar

रंग इस मौसम में भरना चाहिए | अंजुम रहबररंग इस मौसम में भरना चाहिएसोचती हूँ प्यार करना चाहिएज़िंदगी को ज़िंदगी के वास्तेरोज़ जीना रोज़ मरना चाहिएदोस्ती से तज्रबा ये हो ...

Kavi Ka Ghar | Ramdarash Mishra

कवि का घर | रामदरश मिश्रगेन्दे के बड़े-बड़े जीवन्त फूलबेरहमी से होड़ लिए गएऔर बाज़ार में आकर बिकने लगेबाज़ार से ख़रीदे जाकर वेपत्थर के चरणों पर चढ़ा दिए गएफिर फेंक दिए...

Tumne Mujhe | Shamsher Bahadur Singh

तुमने मुझे | शमशेर बहादुर सिंहतुमने मुझे और गूँगा बना दिया एक ही सुनहरी आभा-सी सब चीज़ों पर छा गई मै और भी अकेला हो गया तुम्हारे साथ गहरे उतरने के बाद मैं एक ग़ार से न...

Aadat | Gulzar

आदत | गुलज़ारसाँस लेना भी कैसी आदत हैजिए जाना भी क्या रिवायत हैकोई आहट नहीं बदन में कहींकोई साया नहीं है आँखों मेंपाँव बेहिस हैं चलते जाते हैंइक सफ़र है जो बहता रहता है...

Auratein | Shubha

औरतें | शुभाऔरतें मिट्टी के खिलौने बनाती हैंमिट्टी के चूल्हेऔर झाँपी बनाती हैंऔरतें मिट्टी से घर लीपती हैंमिट्टी के रंग के कपड़े पहनती हैंऔर मिट्टी की तरह गहन होती हैंऔ...

Swapn Mein Pita | Ghulam Mohammad Sheikh

स्वप्न में पिता | ग़ुलाम मोहम्मद शेख़बापू, कल तुम फिर से दिखेघर से हज़ारों योजन दूर यहाँ बाल्टिक के किनारेमैं लेटा हूँ यहीं,खाट के पास आकर खड़े आप इस अंजान भूमि परभाइय...

Us Din | Rupam Mishra

उस दिन | रूपम मिश्र उस दिन कितने लोगों से मिली कितनी बातें , कितनी बहसें कींकितना कहा  ,कितना सुनासब ज़रूरी भी लगा था पर याद आते रहे थे बस वो पल जितनी देर के लिए तुमसे ...

Manushya | Vimal Chandra Pandey

मनुष्य - विमल चंद्र पाण्डेय मुझे किसी की मृत्यु की कामना से बचना हैचाहे वो कोई भी होचाहे मैं कितने भी क्रोध में होऊँऔर समय कितना भी बुरा होसामने वालामेरा कॉलर पकड़ कर ग...

Apne Prem Ke Udveg Mein | Agyeya

अपने प्रेम के उद्वेग में | अज्ञेय अपने प्रेम के उद्वेग में मैं जो कुछ भी तुमसे कहता हूँ, वह सब पहले कहा जा चुका है।तुम्हारे प्रति मैं जो कुछ भी प्रणय-व्यवहार करता हूँ,...

Tum | Adnan Kafeel Darwesh

तुम | अदनान कफ़ील दरवेशजब जुगनुओं से भर जाती थीदुआरे रखी खाटऔर अम्मा की सबसे लंबी कहानी भीख़त्म हो जाती थीउस वक़्त मैं आकाश की तरफ़ देखताऔर मुझे वहठीक जुगनुओं से भरी खाट ...

Prem Ke Prasthan | Anupam Singh

प्रेम के प्रस्थान | अनुपम सिंह सुनो,एक दिन बन्द कमरे से निकलकर हम दोनोंपहाड़ों की ओर चलेंगेया फिर नदियों की ओरनदी के किनारे,जहाँ सरपतों के सफ़ेद फूल खिले हैं।या पहाड़ ...

Dhoop Bhi To Barish Hai | Shahanshah Alam

धूप भी तो बारिश है | शहंशाह आलम धूप भी तो बारिश हैबारिश बहती है देह परधूप उतरती है नेह परमेरे संगीतज्ञ ने मुझे बतायाधूप है तो बारिश हैबारिश है तो धूप हैमैंने जिससे प्र...

Jo Ulajhkar Reh Gayi Hai Filon Ke Jaal Mein | Adam Gondvi

जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में | अदम गोंडवीजो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल मेंगाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल मेंबूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गईरमसुधी की झों...

Ladai Ke Samachar | Naveen Sagar

लड़ाई के समाचार | नवीन सागरलड़ाई के समाचारदूसरे सारे समाचारों को दबा देते हैंछा जाते हैंशांति के प्रयासों की प्रशंसा करते हुएहम अपनी उत्तेजना मेंमानो चाहते हैंयुद्ध जा...

Khana Banati Streeyan | Kumar Ambuj

खाना बनाती स्त्रियाँ | कुमार अम्बुजजब वे बुलबुल थीं उन्होंने खाना बनायाफिर हिरणी होकरफिर फूलों की डाली होकरजब नन्ही दूब भी झूम रही थी हवाओं के साथजब सब तरफ़ फैली हुई थ...

Ek Bahut Hi Tanmay Chuppi | Bhavani Prasad Mishra

एक बहुत ही तन्मय चुप्पी | भवानीप्रसाद मिश्रएक बहुत ही तन्मय चुप्पी ऐसीजो माँ की छाती में लगाकर मुँहचूसती रहती है दूधमुझसे चिपककर पड़ी हैऔर लगता है मुझेयह मेरे जीवन कीलग...

Dena | Naveen Sagar

देना | नवीन सागरजिसने मेरा घर जलायाउसे इतना बड़ा घरदेना कि बाहर निकलने को चलेपर निकल न पाएजिसने मुझे माराउसे सब देनामृत्यु न देनाजिसने मेरी रोटी छीनीउसे रोटियों के समु...

Ek Baar Kaho Tum Meri Ho | Ibn e Insha

इक बार कहो तुम मेरी हो |  इब्न-ए-इंशाहम घूम चुके बस्ती बन मेंइक आस की फाँस लिए मन मेंकोई साजन हो कोई प्यारा होकोई दीपक हो, कोई तारा होजब जीवन रात अँधेरी होइक बार कहो त...

Mere Ekant Ka Pravesh Dwar | Nirmala Putul

मेरे एकांत का प्रवेश-द्वार | निर्मला पुतुलयह कविता नहींमेरे एकांत का प्रवेश-द्वार हैयहीं आकर सुस्ताती हूँ मैंटिकाती हूँ यहीं अपना सिरज़िंदगी की भाग-दौड़ से थक-हारकरजब ...

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