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Mitr | Ashwini
मित्र | अश्विनी लक्ष्य को सदा चेताए, तेरी त्रुटि कभी न छुपाए,तेरा क्रोध भी सह जाए, जो भटकने न दे मार्ग से, वह मित्र है ।मित्र का हृदय निर्मल, विशाल, मित्र ही बने मित्...
Suno Sitaron! | Nasira Sharma
सुनो सितारों! | नासिरा शर्मा कहाँ गुम हो जाते हो तुम रात आते हीजाते हो शराबख़ाने या फिरथके हारे मज़दूर की तरहपड़ जाते हो बेसुध चादर ओढ़ तुम!मच्छर लाख काटें और गुनगुनाए...
Beej Pakhi | Hemant Deolekar
बीज पाखी | हेमंत देवलेकर यह कितना रोमांचक दृश्य है:किसी एकवचन को बहुवचन में देखनापेड़ पैराशुट पहनकर उत्तर रहा है।वह सिर्फ़ उतर नहीं रहाबिखर भी रहा है।कितनी गहरी व्यंजना...
Sapne Nahin Hain To | Nandkishore Acharya
सपने नहीं हैं तो | नंदकिशोर आचार्य नहीं देखेकिसी और के सपने मेरे सिवाफिर भी वह नहीं था मैंजिस के सपने देखती थीं तुमक्यों कि मेरे भी तो थे सपने कुछ नहीं थे जो सपनों में...
Hum Adharon Adharon Bikhrenge | Seema Aggarwal
हम अधरों-अधरों बिखरेंगे | सीमा अग्रवाल तुम पन्नों पर सजे रहोहम अधरों-अधरोंबिखरेंगेतुम बन ठन करघर में बैठोहम सड़कों से बात करेंतुम मुट्ठी मेंकसे रहो हमपोर पोर खैरात करे...
Ramdas | Raghuvir Sahay
रामदास | रघुवीर सहायचौड़ी सड़क गली पतली थीदिन का समय घनी बदली थीरामदास उस दिन उदास थाअंत समय आ गया पास थाउसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगीधीरे-धीरे चला अकेलेसोचा ...
Dopahar Ki Kahaniyon Ke Mama | Rajesh Joshi
दोपहर की कहानियों के मामा | राजेश जोशी हम उन नटखट बच्चियों के मामा थेजो अकसर दोपहर में अपनी नानियों से कहानी सुनने की ज़िद करती थीहम हमेशा ही घर लौटने के रास्ते भूल जा...
Nadi Ka Smarak | Kedarnath Singh
नदी का स्मारक | केदारनाथ सिंहअब वह सूखी नदी काएक सूखा स्मारक है।काठ का एक जर्जर पुराना ढाँचाजिसे अब भी वहाँ लोगकहते हैं 'नाव'जानता हूँ लोगों पर उसकेढेरों उपकार हैंपर ...
Utra Jwaar | Doodhnath Singh
उतरा ज्वार | दूधनाथ सिंहउतरा ज्वार जलमैला लहरेंगयीं क्षितिज के पार काला सागरअन्धी आँखें फाड़ताक रहा हैगहन नीलिमा बुझे हुए तारेकचपच-कचपचढूँढ़ रहे हैंठौर मैं हूँ मैं हूँ...
Abhaya | Ashwini
अभया | अश्विनी पुरवा सुहानी नहीं, डरावनी है इस बार,चपला सी दिल दहलाती आती चीत्कार।वर्षा नहीं, रक्त बरसा है इस बार,पक्षी उड़ गए पेड़ों से, रिक्त है हर डार। किसे सुनाती ...
Maun Hi Mukhar Hai | Vishnu Prabhakar
मौन ही मुखर है | विष्णु प्रभाकरकितनी सुन्दर थीवह नन्हीं-सी चिड़ियाकितनी मादकता थीकण्ठ में उसकेजो लाँघ कर सीमाएँ सारीकर देती थी आप्लावितविस्तार को विराट केकहते हैंवह मौ...
Ve Log | Lakshmi Shankar Vajpeyi
वे लोग | लक्ष्मी शंकर वाजपेयीवे लोगडिबिया में भरकर पिसी हुई चीनीतलाशते थे चींटियों के ठिकानेछतों पर बिखेरते थे बाजरा के दानेकि आकर चुगें चिड़ियाँवे घर के बाहर बनवाते थ...
Jhoot Ki Nadi | Vijay Bahadur Singh
झूठ की नदी | विजय बहादुर सिंहझूठ की नदी मेंडगमग हैं सच के पाँवचेहरे पीले पड़ते जा रहे हैंमुसाफ़िरों केमुस्कुरा रहे हैं खेवैयेमार रहे हैं डींगभरोसा है उन्हें फिर भीसम्ह...
Hone Lagi Hai Jism Mein Jumbish To Dekhiye | Dushyant Kumar
होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए | दुष्यंत कुमार होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिएइस परकटे परिन्दे की कोशिश तो देखिए।गूंगे निकल पड़े हैं, ज़ुबाँ की तलाश में...
Nazar Jhuk Gayi Aur Kya Chahiye | Firaaq Gorakhpuri
नज़र झुक गई और क्या चाहिए | फ़िराक़ गोरखपुरीनज़र झुक गई और क्या चाहिएअब ऐ ज़िंदगी और क्या चाहिएनिगाह -ए -करम की तवज्जो तो हैवो कम कम सही और क्या चाहिएदिलों को कई बार छू तो...
Capitalism | Gaurav Tiwari
कैपिटलिज़्म | गौरव तिवारी बाग में अक्सर नहीं तोड़े जाते गुलाबलोग या तो पसंद करते हैं उसकी ख़ुशबूया फिर डरते हैं उसमें लगे काँटों सेजो तोड़ने पर कर सकते हैंउन्हें ज़ख्मीव...
Hajamat | Anup Sethi
हजामत | अनूप सेठी सैलून की कुर्सी पर बैठे हुएकान के पीछे उस्तरा चला तो सिहरन हुईआइने में देखा बाबा नेसाठ-पैंसठ साल पहले भीकान के पीछे गुदगुदी हुई थीपिता ने कंधे से था...
Ek Chota Sa Anurodh | Kedarnath Singh
एक छोटा सा अनुरोध | केदारनाथ सिंहआज की शामजो बाज़ार जा रहे हैंउनसे मेरा अनुरोध हैएक छोटा-सा अनुरोधक्यों न ऐसा हो कि आज शामहम अपने थैले और डोलचियाँरख दें एक तरफ़और सीधे...
Jal | Ashok Vajpeyi
जल | अशोक वाजपेयीजलखोजता हैजल मेंहरियाली का उद्गमकुछ नीली स्मृतियाँ और मटमैले चिद्मजलभागता हैजल की गली मेंगाते हुएलय काविलय का उच्छल गानजल देता हैजल को आवाज़,जल सुनता...
Aman Ka Naya Silsila Chahta Hun | Lakshmi Shankar Vajpeyi
अमन का नया सिलसिला चाहता हूँ | लक्ष्मीशंकर वाजपेयीअमन का नया सिलसिला चाहता हूँजो सबका हो ऐसा ख़ुदा चाहता हूँ।जो बीमार माहौल को ताज़गी देवतन के लिए वो हवा चाहता हूँ।कहा उ...
Sapne | Shivam Chaubey
सपने | शिवम चौबे रिक्शे वाले सवारियों के सपने देखते हैंसवारियाँ गंतव्य केदुकानदार के सपने में ग्राहक ही आएं ये ज़रूरी नहींमॉल भी आ सकते हैंछोटे व्यापारी पूंजीपतियों के ...
Main Unka Hi Hota | Muktibodh
मैं उनका ही होता| गजानन माधव मुक्तिबोधमैं उनका ही होता, जिनसेमैंने रूप-भाव पाए हैं।वे मेरे ही लिए बँधे हैंजो मर्यादाएँ लाए हैं।मेरे शब्द, भाव उनके हैं,मेरे पैर और पथ ...
Prem Gatha | Ajay Kumar
प्रेम गाथा | अजय कुमारप्रेमएक कमरे कोकैनवास में तब्दील कर केउसमें आँक सकता हैएक बादलजंगल में नाचता हुआ मोरएक गिरती हुई बारिशदेवदार का एक पेड़एक सितारों भरी रेशमी रातएक...
Chanderi | Kumar Ambuj
चँदेरी | कुमार अम्बुजचंदेरी मेरे शहर से बहुत दूर नहीं है मुझे दूर जाकर पता चलता है बहुत माँग है चंदेरी की साड़ियों की चँदेरी मेरे शहर से इतनी क़रीब है कि रात में कई बा...
Wo To Khusbu Hai Hawaon Mein Bikhar Jayega | Parveen Shakir
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा | परवीन शाकिरवो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगामसअला फूल का है फूल किधर जाएगाहम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थ...
Silbatta | Prashant Bebaar
सिलबट्टा | प्रशांत बेबार वो पीसती है दिन रात लगातारमसाले सिलबट्टे परतेज़ तीखे मसालेअक्सर जलने वालेपीसकर दाँतीतानकर भौहेंवो पीसती है हरी-हरी नरम पत्तियाँऔर गहरे काले लम...
Adiyal Saans | Kedarnath Singh
अड़ियल साँस | केदारनाथ सिंहपृथ्वी बुख़ार में जल रही थीऔर इस महान पृथ्वी केएक छोटे-से सिरे परएक छोटी-सी कोठरी मेंलेटी थी वहऔर उसकी साँसअब भी चल रही थीऔर साँस जब तक चलती ...
Ae Aurat | Nasira Sharma
ऐ औरत! | नासिरा शर्मा जाड़े की इस बदली भरी शाम कोकहाँ जा रही हो पीठ दिखाते हुएठहरो तो ज़रा!मुखड़ा तो देखूँ कि उस पर कितनी सिलवटें हैंथकन और भूख-प्यास कीसर पर उठाए यह ...
Haar | Prabhat
हार | प्रभातजब-जब भी मैं हारता हूँमुझे स्त्रियों की याद आती हैऔर ताक़त मिलती हैवे सदा हारी हुई परिस्थिति में हीकाम करती हैंउनमें एक धुन एक लयएक मुक्ति मुझे नज़र आती हैवे...
Gussa | Gulzar
ग़ुस्सा | गुलज़ारबूँद बराबर बौना-सा भन्नाकर लपकापैर के अँगूठे से उछलाटख़नों से घुटनों पर आयापेट पे कूदानाक पकड़ करफन फैला कर सर पे चढ़ गया ग़ुस्सा!