Ajnabi Sham | Jaun Elia
अजनबी शाम | जौन एलिया
धुँद छाई हुई है झीलों पर
उड़ रहे हैं परिंद टीलों पर
सब का रुख़ है नशेमनों की तरफ़
बस्तियों की तरफ़ बनों की तरफ़
अपने गल्लों को ले के चरवाहे
सरहदी बस्तियों में जा पहुँचे
दिल-ए-नाकाम मैं कहाँ जाऊँ
अजनबी शाम मैं कहाँ जाऊँ
नशेमनों: आश्रय रुख़: दिशा
गल्लों: झुण्ड
धुँद छाई हुई है झीलों पर
उड़ रहे हैं परिंद टीलों पर
सब का रुख़ है नशेमनों की तरफ़
बस्तियों की तरफ़ बनों की तरफ़
अपने गल्लों को ले के चरवाहे
सरहदी बस्तियों में जा पहुँचे
दिल-ए-नाकाम मैं कहाँ जाऊँ
अजनबी शाम मैं कहाँ जाऊँ
नशेमनों: आश्रय रुख़: दिशा
गल्लों: झुण्ड