Mrityu Geet | Langston Hughes | Dharmvir Bharti
मृत्यु-गीत | लैंग्स्टन ह्यूज़
अनुवाद : धर्मवीर भारती
मातम के नक़्क़ारे बजाओ मेरे लिए,
मातम और मौत के नक़्क़ारे बजाओ मेरे लिए
और भीड़ से कह दो कि मिल कर के मरसिया गाए
ताकि उसकी आवाज़ में मेरी हिचकियाँ डूब जाएँ।
मौत के नक़्क़ारों के साथ
सिसकते हुए बेले की महीन और दुखी आवाज़—
लेकिन सूरज के संगीत से परिपूर्ण
शंख की एक हुँकार भरी आवाज़ भी हो,
जो मेरे साथ जाए,
उस अँधियारे मृत्युलोक में
जहाँ मैं जा रहा हूँ।