Amarphal | Arun Kamal
तोते का जुठाया अमरूद दो मुझे
जिसके भीतर की लामिला फूटती हो बाहर
गिलहरी के दाँतों के दागवाला जामुन दो काला
अंधकार के रस से भरा हुआ
पक कर अपने ही उल्लास से फटता
एक फल दो शरीफे का
और रस के तेज वेग से जिस ईख के
फटे हों पोर
वह ईख दो मुझे
और खूब चौड़े थन वाली गाय का दूध
जिसके चलने भर से
छीमियों से झरता हो दूध
मुझे छप्पन व्यंजन नहीं
बस एक फल दो
सूर्य का लाल फल
अंधकार का काला फल
जिसे बस एक बार काटूँ
और अमर हो जाऊँ
वही अमरफल !
सबसे अच्छे फल थे वे
जो ऋतु में आए
जब पौधा था
पूरे उठान पर
लेकिन सबसे अंतिम फल ही
जो पड़े डाल पर ज्वाए
टेढ़े बाँगुर
अगली ऋतु के लिए सहेजे हमने
वही अमरफल!
जिसके भीतर की लामिला फूटती हो बाहर
गिलहरी के दाँतों के दागवाला जामुन दो काला
अंधकार के रस से भरा हुआ
पक कर अपने ही उल्लास से फटता
एक फल दो शरीफे का
और रस के तेज वेग से जिस ईख के
फटे हों पोर
वह ईख दो मुझे
और खूब चौड़े थन वाली गाय का दूध
जिसके चलने भर से
छीमियों से झरता हो दूध
मुझे छप्पन व्यंजन नहीं
बस एक फल दो
सूर्य का लाल फल
अंधकार का काला फल
जिसे बस एक बार काटूँ
और अमर हो जाऊँ
वही अमरफल !
सबसे अच्छे फल थे वे
जो ऋतु में आए
जब पौधा था
पूरे उठान पर
लेकिन सबसे अंतिम फल ही
जो पड़े डाल पर ज्वाए
टेढ़े बाँगुर
अगली ऋतु के लिए सहेजे हमने
वही अमरफल!