Aparichit Se Prem | Mamta Kalia

अपरिचित से प्रेम | ममता कालिया

सबसे पहले तो बताओ अपना नाम
फिर मोहल्ला, कहाँ रहते तो, क्या करते हो
रोज़ सवेरे इकत्तीस नबंर की बस से
कहाँ जाते हो
और अक्सर चाय की
उस रद्दी-सी दुकान पर
क्यों खड़े रहते हो
तुम्हारे बारे में
बहुत कुछ जानने की इच्छा है
तुम्हें शहर की कौन-सी सड़कें पसंद हैं
क्या वो जो अक्सर वीरान रहती हैं
या वो जहाँ भीड़-भाड़ रहती है
तुम कौन-सा अख़बार पढ़ते हो
कौन-सी पत्रिकाएँ
खाली समय में क्या पसंद करते हो
सोना, उदास रहना या ठहाके लगाना
तुम कौन-सी सिगरेट पीते हो
किस साबुन से नहाते हो
अपने बाल इतने अस्त-व्यस्त और रूखे क्यों रखते हो
जानबूझकर रखते हो
या तुमसे सँभलते नहीं
तुम्हें कौन-सा नेता पसंद है
और कौन-सा अभिनेता
अभिनेत्रियों के बारे में तुम्हारी क्या राय है
बोर दूर्दरशन से बचने का तुम्हारे पास क्या उपाय है
प्रेमचंद के अलावा कौन रचनाकार तुम्हें अच्छा लगता है
क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता

समकालीन लेखन में
बेहद एक रास्ता है
इसके अलावा तुम्हारे बारे में
कितना कुछ जानना चाहती हूँ
अभी तुम मेरे लिए मात्र जिज्ञासा हो
आकंठ जिज्ञासा!
फिर तुम आश्चर्य में बदल जाओगे
सातवाँ, आठवाँ या दसवाँ नहीं
मेरे लिए मेरा पहला पावन आश्चर्य
न जाने क्यों मुझे लगता है
तुम्हारी और मेरी रुचियाँ ज़रूर मिलती होंगी
तुम्हें भी, आपसी ताल्लुक में
बहुत जल्द खरोंच लगती होगी
तुम्हें भी छोटी-छोटी बातें
बे-वजह ख़ुशी देती होंगी
और उससे भी छोटी-छोटी बातों पर
तुम तुनक जाते होगे
तुम भी अकेले में अपने से खूब बोलते होगे
लेकिन भीड़-भाड़ में बाहर का रास्ता टटोलते होगे
पता नहीं क्यों मुझे लगता है
तुम मेरे अनुमानों से भी ज़्यादा
अच्छे हो!

Nayi Dhara Radio