Apne Bajaye | Kunwar Narayan

अपने बजाय | कुँवर नारायण

रफ़्तार से जीते 
दृश्यों की लीलाप्रद दूरी को लाँघते हुए : या 
एक ही कमरे में उड़ते-टूटते लथपथ 
दीवारों के बीच 
अपने को रोक कर सोचता जब 
तेज़ से तेज़तर के बीच समय में 
किसी दुनियादार आदमी की दुनिया से 
हटाकर ध्यान 
किसी ध्यान देने वाली बात को, 
तब ज़रूरी लगता है ज़िंदा रखना 
उस नैतिक अकेलेपन को 
जिसमें बंद होकर 
प्रार्थना की जाती है 
या अपने से सच कहा जाता है 
अपने से भागते रहने के बजाय। 
मैं जानता हूँ किसी को कानोंकान ख़बर 
न होगी 
यदि टूट जाने दूँ उस नाज़ुक रिश्ते को 
जिसने मुझे मेरी ही गवाही से बाँध रखा है, 
और किसी बातूनी मौक़े का फ़ायदा उठाकर 
उस बहस में लग जाऊँ 
जिसमें व्यक्ति अपनी सारी ज़िम्मेदारियों से छूटकर 
अपना वकील बन जाता है। 
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