Beej | Kumar Ambuj
बीज | कुमार अंबुज
जो पराजित है वह धन है संसार का
जो पराजित है वह धन है संसार का
यह हवा बहेगी
एक हारे हुए का जीवन सँभालने के लिए ही
जो जानती है कि पराजित होना ज़िंदगी से बाहर होना नहीं
दाख़िल होना है एक विशाल दुनिया में
ज़िंदगी में दाख़िल हो गए इस व्यक्ति को
ईर्ष्या और प्रशंसा और अचरज से
देखता है जीवन से बाहर खड़ा आदमी
वह समझ ही नहीं पाता है कि वह तो
फ्रेम से बाहर खड़ा हुआ प्रेक्षक है एक
जो पराजित है और टूट नहीं गया है
वह
नए संसार के होने के लिए
एक नया बीज है!