Choti Choti Icchayein | Badri Narayan
छोटी-छोटी इच्छाएँ | बद्री नारायण
मैं रात-दिन
स्मरण करता हूँ
अपनी उन छोटी इच्छाओं का
जो पूरी हो गईं
धीरे-धीरे
जिन छोटी-छोटी इच्छाओं के चक्कर में
अपनी बड़ी इच्छाओं से किनारा किया
धिक्कार है मुझे
कि मेरी धरी की धरी रह गई
पहाड़ तोड़ने की इच्छा!
काग़ज़ की नाव बनाकर
मान लिया कि
पूरी कर ली
बड़ी-बड़ी लहरों से भरे समुद्र लांघने की इच्छा
कुछ कविता लिखकर
मैंने साध ली है
प्रतिरोध करने की इच्छा
धिक्कार है मुझे
मेरी छोटी इच्छाओं को
और उन्हें पूरा करने वालों को।