Chup Ki Saazish | Amrita Pritam

चुप की साज़िश | अमृता प्रीतम

रात ऊँघ रही है...
किसी ने इनसान की
छाती में सेंध लगायी है 
हर चोरी से भयानक 
यह सपनों की चोरी है।
चोरों के निशान -
हर देश के हर शहर की
हर सड़क पर बैठे हैं 
पर कोई आँख देखती नहीं, 
न चौंकती है। 
सिर्फ़ एक कुत्ते की तरह 
एक जंजीर से बंधी 
किसी वक़्त किसी की 
कोई नज़्म भौंकती है।
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