Dastakhat | Suryabala

दस्तख़त – सूर्यबाला
 
छमाही के नतीजे पर दस्तख़त करती-
हंसी थी मां-
‘तू फिर फर्स्ट आई है?...’
दुबली उंगलियों में कांपी है कलम- 
यज्ञ की समिधा की अग्नि सी
और पूजा की चौकी पर,
झुके माथे के नीचे-
उसकी आंखों की कोर डबडबाई है!...
हो गए दस्तख़त
 
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