Dharti Ke Is Hisse Mein | Rajesh Joshi
धरती के इस हिस्से में - राजेश जोशी
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें चिड़ियों के चेहचाने की है
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें किनारे से लहरों के टकराने की है
इस समय इस हिस्से में समुद्र
किनारे की चट्टान पर अपनी लहर को
एक उस्तरे की तरह घिस रहा है
क्या वो आसमान की दाढ़ी बनाने की तैयारी कर रहा है ?
बहुत पास हलकी हलकी सी डुबुक की छोटी छोटी आवाज़ें हैं
वहां मछलियाँ मस्ता रही हैं
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें पेड़ों के सरसराने की हैं
यहाँ सूर्य धीरे धीरे डूब रहा हैं
चाँद धीरे धीरे ऊपर चढ़ रहा हैं
नि:शब्द ! बेआवाज़ !!
रतजगे की स्मृतियों में
चाँद के न जाने कितने चेहरे हैं
यह चेहरा लेकिन उन सबसे अलग हैं
धरती का यह हिस्सा लेकिन एक हिस्सा भर ही हैं
हमारी धरती का
अफ़सोस !!
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें चिड़ियों के चेहचाने की है
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें किनारे से लहरों के टकराने की है
इस समय इस हिस्से में समुद्र
किनारे की चट्टान पर अपनी लहर को
एक उस्तरे की तरह घिस रहा है
क्या वो आसमान की दाढ़ी बनाने की तैयारी कर रहा है ?
बहुत पास हलकी हलकी सी डुबुक की छोटी छोटी आवाज़ें हैं
वहां मछलियाँ मस्ता रही हैं
धरती के इस हिस्से में इस समय
सबसे तेज़ आवाज़ें पेड़ों के सरसराने की हैं
यहाँ सूर्य धीरे धीरे डूब रहा हैं
चाँद धीरे धीरे ऊपर चढ़ रहा हैं
नि:शब्द ! बेआवाज़ !!
रतजगे की स्मृतियों में
चाँद के न जाने कितने चेहरे हैं
यह चेहरा लेकिन उन सबसे अलग हैं
धरती का यह हिस्सा लेकिन एक हिस्सा भर ही हैं
हमारी धरती का
अफ़सोस !!