Dopahar Ka Bhojan | Kumar Vikal

दोपहर का भोजन | कुमार विकल

दुःख
दुःख को सहना
कुछ मत कहना—
बहुत पुरानी बात है।
दुःख सहना, पर
सब कुछ कहना
यही समय की बात है।
दुःख को बना के एक कबूतर
बिल्ली को अर्पित कर देना
जीवन का अपमान है।
दुःख को आँख घूरकर देखो
अपने हथियारों को परखो
और समय आते ही उस पर
पूरी ताक़त संचय करके
ऐसा झड़पो
भीगी बिल्ली-सा वह भागे
तुम पीछे, वह आगे-आगे।
दुःख को कविता में रो देना
‘यह कविता की रात है’
दुःख से लड़कर कविता लिखना
गुरिल्ला शुरुआत है।

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