Kitna Lamba Hoga Jharna | Gulzar

कितना लंबा होगा झरना | गुलज़ार

कितना लंबा होगा झरना 
सारा दिन कोहसार पकड़ के नीचे उतरता रहता है 
फिर भी ख़त्म नहीं होता...!
सारा दिन ही बादलों में, ये वादी चलती रहती है 
न रुकती है, न थमती है 
बारिश का बर्बत भी बजता रहता है 
लंबी लंबी हवा की उंगलियाँ थकतीं नहीं 
जंगल में आवाज़ नदी की 
बोलते बोलते बैठ गई है 
भारी लगती है आवाज़ नदी की!!

कोहसार - पर्वतीय शृंखला
बर्बत -(शाब्दिक) बत्तख़ अर्थात हंस का सीना, एक बाजा, जो सितार की तरह होता है, परन्तु उसकी तुंबी बड़ी और लम्बाई कम होती है
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