Kuch Bhi To Nahi | Nandkishore Acharya
कुछ भी तो नहीं / नंदकिशोर आचार्य
कुछ भी तो नहीं ठीक से हुआ,
न बचपना, न समझदारी,
न दोस्ती, न दुश्मनी,
न प्रेम, न परिवार,
न तंदुरुस्ती, न बीमारी,
न हँसना, न रोना,
न नींद, न जागना,
न रेंगना, न तन कर खड़े रह पाना,
कविता भी नहीं!
न कॉमेडी हुआ, न त्रासदी ठीक से जीवन
इसलिए डरता हूँ ठीक से मरूँगा तो न!’