Sapney | Dr Vishwanath Prasad Tiwari
सपने - विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
कैसे कटती हैं उनकी रातें
जो सपने नहीं देखते?
कैसे कटती हैं उनकी रातें
जो सपने नहीं देखते?
सपने आकाश की तरह अनंत
सपने क्षितिज की तरह अजनबी
सपने क्षितिज की तरह अजनबी
सपने बच्चों की तरह मुलायम
सपने परियों की तरह पंख फैलाए
सपने परियों की तरह पंख फैलाए
सपने कोहरे में सोए जंगलों की तरह
उगते दिन की तरह सपने
उगते दिन की तरह सपने
कहते हैं वे
अपने सपने बेच दो
क्या खरीदूँगा मैं
अपने सपने बेचकर?
अपने सपने बेच दो
क्या खरीदूँगा मैं
अपने सपने बेचकर?