Sharton Par Tika Hai Mera Prem | Anupam Singh

शर्तों पर टिका है मेरा प्रेम | अनुपम सिंह 

मुझसे प्रेम करने के लिए 
तुम्हें शुरू से शुरू करना होगा 
पैदा होना होगा स्त्री की कोख से 
उसकी और तुम्हारी धड़कन 
धड़कनी होगी एक साथ

मुझसे प्रेम करने के लिए 
सँभलकर चलना होगा हरी घास पर 
उड़ते हुए टिड्डे को पहले उड़ने देना होगा 
पेड़ों के पत्ते बहुत ज़रूरत पर ही तोड़ने होंगे 
कि जैसे आदिवासी लड़के तोड़ते हैं 
फूलों को नोच 
कभी मत चढ़ाना देवताओं की मूर्तियों पर

मुझसे प्रेम करने के लिए 
तोड़ने होंगे नदियों के सारे बाँध 
एक्वेरियम की मछलियों को मुक्त कर 
मछुआरे के बच्चे से प्रेम करना होगा 
करना होगा पहाड़ों पर रात्रि-विश्राम

मुझसे प्रेम करने के लिए 
छाना होगा मेरा टपकता हुआ छप्पर 
उस पर लौकियों की बेलें चढ़ानी होंगी
मेरे लिए लगाना होगा एक पेड़ 
अपने भीतर भरना होगा जंगल का हरापन 
और किसी को सड़क पार कराना होगा

मुझसे प्रेम करने के लिए 
भटकी हुई चिट्ठियों को 
पहुँचाना होगा ठीक पते पर 
मेरे साथ खेतों में काम करना होगा 
रसोई में खड़े रहना होगा 
मेरी ही तरह 
बिस्तर पर तुम्हें पुरुष नहीं 
मेरा प्रेमी होना होगा

हाँ, शर्तों पर टिका है मेरा प्रेम 
मुझसे प्रेम करने के लिए 
अलग से नहीं करना होगा तुम्हें 
मुझसे प्रेम।

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