Tumhare Bheetar | Mangesh Dabral

तुम्हारे भीतर - मंगलेश डबराल

एक स्त्री के कारण तुम्हें मिल गया एक कोना
तुम्हारा भी हुआ इंतज़ार
एक स्त्री के कारण तुम्हें दिखा आकाश
और उसमें उड़ता चिड़ियों का संसार
एक स्त्री के कारण तुम बार-बार चकित हुए
तुम्हारी देह नहीं गई बेकार
एक स्त्री के कारण तुम्हारा रास्ता अंधेरे में नहीं कटा
रोशनी दिखी इधर-उधर
एक स्त्री के कारण एक स्त्री
बची रही तुम्हारे भीतर।
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