Vishwa Ki Vasundhara Suhagini Bani Rahe | Sheoraj Singh 'Bechain'

विश्व की वसुंधरा सुहागिनी बनी रहे | श्यौराज सिंह ‘बेचैन

गगन में सूर्य-चंद्र
और चाँदनी बनी रहे
चमन बना रहे
चमन की स्वामिनी बनी रहे।
कोयलों के
कंठ की माधुरी बनी रहे।
रागियों के–
अधरों की रागिनी बनी रहे।
गूँजते रहें
भ्रमर किसलयों की चाह में,
मेल-प्यार
हो अपार, ज़िंदगी की राह में
सब
तरु सरस रहें, न पात टूट भू गहें।
कली-कली–
की गोद, नित सुगंध से भरी रहे।
ये गिरी–
शिखर बने रहें, ये सुरसुरी बनी रहे।
भँवर को
चीरती चली, प्रगति ‘तरी’ बनी रहे।
छूतछात
जातिभेद की प्रथा नहीं रहे।
लोकतंत्र
हो सजीव, मनुकथा नहीं रहे।
गरज ये कि
तृतीय विश्व युद्ध नहीं चाहिए। 
विश्व की–
वसुंधरा सुहागिनी बनी रहे।
हवा सुचैन
शांति की सदा सुहावनी रहे।
नहीं रहे तो
देश की दरिद्रता नहीं रहे।
आदमी की आदमी से
शत्रुता नहीं रहे।
ये भुखमरी नहीं रहे,
ये खुदकुशी नहीं रहे।
देवियों की
देह की तस्करी नहीं रहे।
मनुष्यता
की भावना प्रबल घनी बनी रहे।
चमन बना रहे
चमन की स्वामिनी बनी रहे।
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