Aakhri Kavita | Imroz
आख़िरी कविता | इमरोज़
अनुवाद : अमिया कुँवर
जन्म के साथ
मेरी क़िस्मत नहीं लिखी गई
जवानी में लिखी गई
और वह भी कविता में...
जो मैंने अब पढ़ी है
पर तू क्यों
मेरी क़िस्मत कविता को
अपनी आख़िरी कविता कर रही हो...
मेरे होते तेरी तो कभी भी
कोई कविता आख़िरी कविता
नहीं हो सकती...