Bhasha | Snehmayi Chaudhary

भाषा | स्नेहमयी चौधरी

यह नहीं कि 
उसे कोई शिकायत नहीं, 
लेकिन अब वह अपने पक्ष में 
कोई तर्क न देगी, 
न चाहेगी— 
लगाए गए आरोपों का 
कोई निराकरण। 
यह नहीं कि 
उसके पास कहने को 
कुछ नहीं, 
शायद यह कि 
बहुत कुछ है। 
अब कोई न पूछे 
उसके निजी दस्तावेज़, 
यही तो उसकी संपत्ति है। 
यद्यपि निष्क्रिय विद्रोह 
आज की भाषा नहीं : 
यह नहीं कि वह जानती नहीं। 
शायद यही उसके लिए 
सही भाषा की तलाश का 
एक तरीक़ा है। 

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