Bhookh | Achyutanand Mishra

भूख / अच्युतानंद मिश्र

मेरी माँ अभी मरी नहीं
उसकी सूखी झुलसी हुई छाती
और अपनी फटी हुई जेब
अक्सर मेरे
सपनों में आती हैं
मेरी नींद उचट जाती है
मैं सोचने लगता हूँ
मुझे किसका ख्याल
करना चाहिए
किसके बारे में लिखनी चाहिए कविता

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