Bhoolna | Rachit
भूलना | रचित
कितना भयावह है
भूलने के बाद सिर्फ़ यह याद रहना
कि कुछ भूल गए हैं
उससे भी ज़्यादा पीड़ादायक है यह अनुभूति
कि वह भूला हुआ जब भी याद आएगा
हम जान नहीं पाएँगे कि
यही तो भूले थे किसी उदास दिन।
भूलना | रचित
कितना भयावह है
भूलने के बाद सिर्फ़ यह याद रहना
कि कुछ भूल गए हैं
उससे भी ज़्यादा पीड़ादायक है यह अनुभूति
कि वह भूला हुआ जब भी याद आएगा
हम जान नहीं पाएँगे कि
यही तो भूले थे किसी उदास दिन।