Char Aur Panktiyan | Prabhakar Machve

चार और पंक्तियाँ | प्रभाकर माचवे

जब दिल ने दिल को जान लिया

जब अपना-सा सब मान लिया
तब ग़ैर-बिराना कौन बचा

यदि बचा सिर्फ़ तो मौन बचा


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