Chidimaar Ne Chidiya Maari | Kedarnath Aggarwal
चिड़ीमार ने चिड़िया मारी | केदारनाथ अग्रवाल
हे मेरी तुम!
चिड़ीमार ने चिड़िया मारी;
नन्नी-मुन्नी तड़प गई
प्यारी बेचारी।
हे मेरी तुम!
सहम गई पौधों की सेना,
पाहन-पाथर हुए उदास;
हवा हाय कर
ठिठकी ठहरी;
पीली पड़ी धूप की देही।
हे मेरी तुम!
अब भी वह चिड़िया ज़िंदा है
मेरे भीतर,
नीड़ बनाये मेरे दिल में,
सुबुक-सुबुक कर
चूँ-चूँ करती
चिड़ीमार से डरी-डरी-सी।