Choolhe Ke Paas | Madan Kashyap

चूल्हे के पास  - मदन कश्यप 

गीली लकड़ियों को फूँक मारती
आँसू और पसीने से लथपथ
चूल्हे के पास बैठी है औरत
हज़ारों-हज़ार बरसों से
धुएँ में डूबी हुई
चूल्हे के पास बैठी है औरत
जब पहली बार जली थी आग धरती पर
तभी से राख की परतों में दबाकर
आग ज़िंदा रखे हुई है औरत!
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