Dhool | Hemant Deolekar
धूल | हेमंत देवलेकर
धीरे-धीरे साथ छोड़ने लगते हैं लोग
तब उन बेसहारा और यतीम होती चीज़ों को
धूल अपनी पनाह में लेती है।
धूल से ज़्यादा करुण और कोई नहीं
संसार का सबसे संजीदा अनाथालय धूल चलाती है
काश हम कभी धूल बन पाते
यूं तो मिट्टी के छिलके से ज़्यादा हस्ती उसकी क्या
पर उसके छूने से चीज़ें इतिहास होने लगती हैं।
समय के साथ गाढ़ी होते जाना -
धूल को प्रेम की तरह महान बनाता है
ओह, हम हमेशा उसे झाड़ देते रहे हैं
बिना उसका शुक्रिया अदा किए।