Ek Lamhe Se Doosre Lamhe Tak | Shaharyar
एक लम्हे से दूसरे लम्हे तक | शहरयार
एक आहट अभी दरवाज़े पे लहराई थी
एक सरगोशी अभी कानों से टकराई थी
एक ख़ुश्बू ने अभी जिस्म को सहलाया था
एक साया अभी कमरे में मिरे आया था
और फिर नींद की दीवार के गिरने की सदा
और फिर चारों तरफ़ तेज़ हवा!!