Ek Pal Hi Sahi | Nandkishore Acharya
एक पल ही सही | नंदकिशोर आचार्य
कभी निकाल बाहर करूँगा मैं
समय को
हमारे बीच से
अरे, कभी तो जीने दो थोड़ा
हम को भी अपने में
ठेलता ही रहता है
जब देखो जाने कहाँ
फिर चाहे शिकायत कर दे वह
उस ईश्वर को
देखता जो आँखों से उसकी
उसी के कानों से सुनता
दे दे वह भी सज़ा जो चाहे
एक पल ही सही
जी तो लेंगे हम
थोड़ा एक-दूसरे में
समय के-
और उस पर निर्भर
ईश्वर के-
बिना
देखता हूँ पर हमारे बिना
कैसे जिएँगे वे ख़ुद?