Har Taraf Har Jagah Beshumar Aadmi | Nida Fazli
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी | निदा फ़ाज़ली
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी
सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी
हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी
ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी