Kahin Baarish Ho Chuki Hai | Zeeshan Sahil
कहीं बारिश हो चुकी है | ज़ीशान साहिल
मकान और लोग
बहुत ख़ुश और नए नज़र आ रहे हैं
रास्ते और दरख़्त
ख़ुद को धुला हुआ महसूस कर रहे हैं
दरख़्त: पेड़
फूल और परिंदे
तेज़ धूप में फैले हुए हैं
ख़्वाब और आवाज़ें
शायद पानी में डूबे हुए हैं
उदासी और ख़ुशी
ओस की तरह बिछी है
ऐसा लगता है
मेरे दिल से बाहर
या तुम्हारी आँखों के पास
कहीं बारिश हो चुकी है