Kavita Ke Liye | Snehmayi Chaudhary
कविता के लिए | स्नेहमयी चौधरी
कविता लिखने के लिए जो परेशान करते थे
उन सबको मैंने धीरे-धीरे अपने से काट दिया।
जैसे : ज़रा सी बात पर
बड़ी देर तक घुमड़ते रहना,
अपने किए को हर बार ग़लत समझना,
निरंतर अविश्वास की झिझक ओढ़े घूमना।
अब सिर ऊँचा कर स्वस्थ हो रही हूँ,
मकान बनाने में जुटे मज़दूरों को देख रही हूँ।