Likhne Se Hi Likhi Jaati Hai Kavita | Udayan Vajpeyi

लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयी

लिखने से ही लिखी जाती है कविता
प्रेम भी करने की ही चीज़ है
जैसे जंगल सुनने की
किताब डूबने की
मृत्यु इंतज़ार की
जीवन, अपने को चारों ओर से
समेट कर किसी ऐसे बिंदु पर
ला देने की जहाँ नर्तकी की तरह
अपने पाँव के अँगूठे पर कुछ देर
खड़ा रह सके वियोग

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