Mann Ke Panne | Nasira Sharma

मन के पन्ने | नासिरा शर्मा 

जब तुम थककर सोते हो
तो तुम्हारे उजले तलवों को देख कर
 जाने क्यों ख़याल आता है उसपर लिख दूँ
 मन के इंद्रधनुष से एक प्रेम-पत्र
जिसमें लिखा हो अवाम का वह प्यार
जो हम उनसे करते हैं
जिस में हो उनके आहत मन की 
भूखी-प्यासी इच्छाओं के दस्तावेज़ 
और हमारी नाकाम कोशिशों के न थकने वाले हौसले
तुम जहाँ-जहाँ जाओ छप जाए धरती के सीने पर
यह शब्द
सपने, सपने और सपने हमारी उम्मीदों के
जिसपर चल सकें वह सब जो करते हैं प्रेम
जो लिख सकते हैं प्रेम पत्र दूसरों की व्यथाओं के
मेरे अक्षर और तुम्हारे क़दम रच सकते हैं 
आँसुओं की बारिश के बाद
एक नया इंद्रधनुष।

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