Meri Deh Main Paon Sahi Salamat Hain | Shahanshah Alam

मेरी देह में पाँव सही-सलामत हैं | शहंशाह आलम

यह उदासी का बीमारी का
मारकाट का समय है
तब भी इस उदासी को
इस बीमारी को हराता हूँ

मैं देखता हूँ इतनी मारकाट के बाद भी
मेरी देह में मेरे पाँव सही-सलामत हैं
मैं लौट आ सकता हूँ घाट किनारे से
गंगा में बह रहीं लाशों का मातम करके

मेरे दोनों हाथ साबुत हैं अब भी
छू आ सकता हूँ उसके गाल को

दे सकता हूँ बूढ़े आदमी का
गिर गया पुराना चश्मा

उस हत्यारे को मार भगा सकता हूँ
जो बस मारना ही चाहता है लड़की को

मेरे दोनों कान ठीक-ठाक काम कर रहे हैं
झूठ बोलने वाली सत्ता की चिल्लपों के बावजूद
सुन सकता हूँ दीमकों चींटियों की आवाज़ें

मेरे मुँह में जो मेरी ज़बान है वह बस मेरी है
जो बोल सकती है राजा के विरुद्ध बिना झिझक

मेरा दिल मेरा दिमाग़ अब भी सोच सकता है
कि हमारे राजा को बस नरसंहार पसंद है।

Nayi Dhara Radio