Naya Sach Rachne | Nandkishore Acharya

नया सच रचने | नंदकिशोर आचार्य


पत्तों का झर जाना
शिशिर नहीं
जड़ों में
यह सपनों की
कसमसाहट है-
अपने लिए
नया सच रचने की
ख़ातिर-
झूठ हो जाता है जो
खुद झर जाता है।

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