Pao Bhar Kaddu Se Bana Leti Hai Raita | Mamta Kalia
पाव भर कद्दू से बना लेती है रायता | ममता कालिया
एक नदी की तरह
सीख गई है घरेलू औरत
दोनों हाथों में बर्तन थाम
चौकें से बैठक तक लपकना
जरा भी लड़खड़ाए बिना
एक साँस में वह चढ़ जाती है सीढ़ियाँ
और घुस जाती है लोकल में
धक्का मुक्की की परवाह किए बिना
राशन की कतार उसे कभी लम्बी नहीं लगी
रिक्शा न मिले
तो दोनों हाथों में झोले लटका
वह पहुँच जाती है अपने घर
एक भी बार पसीना पोंछे बिना
एक कटोरी दही से तीन कटोरी रायता
बना लेती है खाँटी घरेलू औरत
पाव भर कद्दू में घर भर को खिला लेती है
ज़रा भी घबराए बिना!