Prem Aur Ghruna | Natasha
प्रेम और घृणा | नताशा
तुम भेजना प्रेम
बार-बार भेजना
भले ही मैं वापस कर दूँ
लौटेगा प्रेम ही तुम्हारे पास
पर मत भेजना कभी घृणा
घृणा बंद कर देती है दरवाज़े
अँधेरे में क़ैद कर लेती है
हम प्रेम सँजो नहीं पाते
और घृणा पाल बैठते हैं
प्रेम के बदले
न भी लौटा प्रेम
तो लौटेगी
चुप्पी
बेबसी
प्रेम अपरिभाषित ही सही
घृणा
परिभाषा से भी ज़्यादा कट्टर होती है!