Prem Me Prem Ki Ummeed | Mamta Barhath

प्रेम में प्रेम की उम्मीद | ममता बारहठ

जीवन से बचाकर 
ले जाऊँगी देखना 
प्रेम के कुछ क़तरे 
मुट्ठियों में भींचकर 
प्रेम की ये कुछ बूँदें 
जो बची रह जाएँगी 
छाया से मृत्यु की 
बनेंगी समंदर और आसमान 
मिट्टी और हवा 
यही बनेंगी पहाड़ और जंगल और स्वप्न नए 
देखना तुम 
यह बचा हुआ प्रेम ही बनेगा 
फिर नया जन्म मेरा! 

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