Rath Daudte Hain Rangeen Phoolon Ke

रथ दौड़ते हैं रंगीन फूलों के | केदारनाथ अग्रवाल

रंग नहीं
रथ दौड़ते हैं रंगीन फूलों के
सांध्य गगन में।
देखो-बस-देखो।
रंग नहीं
ध्वज फहरते हैं रंगीन स्वप्नों के
सांध्य गगन में।
झूमो-बस-झूमो!
रंग नहीं
नट नाचते हैं रंगीन छंदों के
सांध्य गगन में!
नाचो-बस-नाचो!

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