Sahil Aur Samandar | Sarwar

साहिल और समंदर | सरवर 

ऐ समंदर
क्यों इतना शोर करते हो 
क्या कोई दर्द अंदर रखते हो 
यूं हर बार साहिल से तुम्हारा टकराना 
किसी के रोके जाने के खिलाफ तो नहीं 
पर मुझको तुम्हारी लहरें याद दिलाती हैं 
कोशिश से बदल जाते हैं हालात 
तुमने ढाला है साहिलों को 
बदला है उनके जबीनों को 
मुझको ऐसा मालूम पड़ता है 
कि तुम आकर लेते हो 
बौसा साहिलों के हज़ार 
ये मोहब्बत है तुम्हारी उस साहिल के लिए 
जो छोड़ता नहीं है तुम्हारा साथ 
काश इंसान भी साहिल और समंदर होता 
कितने भी बिगड़ते हालात 
फिर भी होते साथ 
साहिल और समंदर 

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