Samay Aur Bachpan | Hemant Deolekar

समय और बचपन - हेमंत देवलेकर

उसने मेरी कलाई पर
टिक टिक करती घड़ी देखी
तो मचल उठी वैसी ही घड़ी पाने के लिए

उसका जी बहलाते
स्थिर समय की एक खिलौना घड़ी
बाँध दी उसकी नन्हीं कलाई पर

पर घड़ी का खिलौना
मंज़ूर नहीं था उसे
टिक टिक बोलती, समय बताती
घड़ी असली मचल रही थी उसके हठ में

यह सच है कि बच्चे समय का स्वप्न देखते हैं
लेकिन मैं उसे समय के हाथों में कैसे सौंप दूँ
क्योंकि वह एक कुख्यात बच्चा चोर है

तभी उसकी ज़िद ने मेरी कलाई पकड़ ली
बच्ची की आँखों में जीवन की सबसे चमकदार चीज़ देखीः कौतुहल
और मेरे पास क्या था? खुरदुरा, घिसा-पिटाः अनुभव
जो मुझे डराता ज़्यादा था
ऐसा अनुभव किस काम का
जो बच्चों का कौतुहल ही नष्ट कर दे

हो सकता है बच्चों की संगत से
समय बदल जाए

मैंने टिक टिक करती असली घड़ी
बच्ची की कलाई पर बाँध दी
और समय उसके हवाले कर दिया।

Nayi Dhara Radio