Tumhe Darr Hai | Gorakh Pandey

तुम्हें डर है | गोरख पांडेय

हज़ार साल पुराना है उनका ग़ुस्सा

हज़ार साल पुरानी है उनकी नफ़रत
मैं तो सिर्फ़

उनके बिखरे हुए शब्दों को
लय और तुक के साथ

लौटा रहा हूँ
मगर तुम्हें डर है कि

आग भड़का रहा हूँ।

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