Ye Kaisi Vivashta Hai? | Kunwar Narayan
यह कैसी विवशता है—
किसी पर वार करो
वह हँसता रहता
या विवाद करता।
यह कैसी पराजय है—
कहीं घाव करें
रक्त नहीं
केवल मवाद बहता।
अजीब वक़्त है—
बिना लड़े ही एक देश का देश
स्वीकार करता चला जाता
अपनी ही तुच्छताओं की अधीनता!
कुछ तो फ़र्क़ बचता
धर्मयुद्ध और कीटयुद्ध में—
कोई तो हार-जीत के नियमों में
स्वाभिमान के अर्थ को
फिर से ईजाद करता।