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Us Roz Bhi | Achal Vajpeyi

उस रोज़ भी |  अचल वाजपेयी उस रोज़ भी रोज़ की तरहलोग वह मिट्टी खोदते रहेजो प्रकृति से वंध्या थीउस आकाश की गरिमा परप्रार्थनाएँ गाते रहेजो जन्मजात बहरा थाउन लोगों को सौंप...

Ye Kiska Ghar Hai | Ramdarash Mishra

यह किसका घर है? | रामदरश मिश्रा "यह किसका घर है?""हिन्दू का।""यह किसका घर है?""मुसलमान का।"यह किसका घर है?""ईसाई का।”शाम होने को आयीसवेरे से ही भटक रहा हूँमकानों के इस...

Ek Aashirwad | Dushyant Kumar

एक आशीर्वाद | दुष्यंत कुमारजा तेरे स्वप्न बड़े हों।भावना की गोद से उतर करजल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लियेरूठना मचलना सीखें।हँसेंमुस्कु...

Baarish Mein Joote Ke Bina Nikalta Hun Ghar Se | Shahanshah Alam

बारिश में जूते के बिना निकलता हूँ घर से | शहंशाह आलम बारिश में जूते के बिना निकलता हूँ घर सेबचपन में हम सब कितनी दफ़ा निकल जाते थेघर से नंगे पाँव बारिश के पानी में छपा...

Kumhaar Akela Shaks Hota Hai | Shahanshah Alam

 कुम्हार अकेला शख़्स होता है | शहंशाह आलम जब तक एक भी कुम्हार हैजीवन से भरे इस भूतल परऔर मिट्टी आकार ले रही हैसमझो कि मंगलकामनाएं की जा रही हैंनदियों के अविरत बहते रहने...

Sagar Se Milkar Jaise | Bhavani Prasad Mishra

सागर से मिलकर जैसे / भवानीप्रसाद मिश्रसागर से मिलकर जैसेनदी खारी हो जाती हैतबीयत वैसे हीभारी हो जाती है मेरीसम्पन्नों से मिलकरव्यक्ति से मिलने काअनुभव नहीं होताऐसा नही...

Ek Baar Jo | Ashok Vajpeyi

एक बार जो | अशोक वाजपेयी एक बार जो ढल जाएँगेशायद ही फिर खिल पाएँगे।फूल शब्द या प्रेमपंख स्वप्न या यादजीवन से जब छूट गए तोफिर न वापस आएँगे।अभी बचाने या सहेजने का अवसर ह...

Aangan | Ramdarash Mishra

आँगन | रामदरश मिश्रा तने हुए दो पड़ोसी दरवाज़े एक-दूसरे की आँखों में आँखें धँसाकरगुर्राते रहे कुत्तों की तरहफेंकते रहे आग और धुआँ भरे शब्दों का कोलाहलखाते रहे कसमें एक ...

Shabd Jo Parinde Hain | Nasira Sharma

शब्द जो परिंदे हैं | नासिरा शर्मा शब्द जो परिंदे हैं।उड़ते हैं खुले आसमान और खुले ज़हनों मेंजिनकी आमद से  हो जाती है, दिल की कंदीलें रौशन।अक्षरों को मोतियों की तरह चुन...

Bache Hue Shabd | Madan Kashyap

बचे हुए शब्द | मदन कश्यप जितने शब्द आ पाते हैं कविता में उससे कहीं ज़्यादा छूट जाते हैं।बचे हुए शब्द छपछप करते रहते हैंमेरी आत्मा के निकट बह रहे पनसोते मेंबचे हुए शब्दथ...

Parichay | Anjana Tandon

परिचय | अंजना टंडनअब तकहर देह के ताने बाने परस्थित है जुलाहे की ऊँगलियों के निशानबस थोड़ा सा अंदररूह तकजा धँसे हैं,विश्वास ना होतो कभीकिसी कीरूह की दीवारों परहाथ रख दे...

Surya | Naresh Saxena

सूर्य | नरेश सक्सेनाऊर्जा से भरे लेकिनअक्ल से लाचार, अपने भुवनभास्करइंच भर भी हिल नहीं पातेकि सुलगा दें किसी का सर्द चुल्हाठेल उढ़का हुआ दरवाजाचाय भर की ऊष्मा औ' रोशनी...

Ladki | Pratibha Saxena

 लड़की | प्रतिभा सक्सेनाआती है एक लड़की,मगन-मुस्कराती,खिलखिलाकर हँसती है,सब चौंक उठते हैं -क्यों हँसी लड़की ?उसे क्या पता आगे का हाल,प्रसन्न भावनाओं में डूबी,कितनी जल्...

Jarkhareed Deh | Rupam Mishra

 जरखरीद देह - रूपम मिश्र हम एक ही पटकथा के पात्र थेएक ही कहानी कहते हुए हम दोनों अलग-अलग दृश्य में होतेजैसे एक दृश्य तुम देखते हुए कहते तुमसे कभी मिलने आऊँगातुम्हारे ग...

Khalipan | Vinay Kumar Singh

 ख़ालीपन |  विनय कुमार सिंहमाँ अंदर से उदास हैसब कुछ वैसा ही नहीं हैजो बाहर से दिख रहा हैवैसे तो घर भरा हुआ हैसब हंस रहे हैंखाने की खुशबू आ रही हैशाम को फिल्म देखना है...

Hum Na Rahenge | Kedarnath Agarwal

हम न रहेंगे | केदारनाथ अग्रवाल हम न रहेंगे-तब भी तो यह खेत रहेंगे;इन खेतों पर घन घहरातेशेष रहेंगे;जीवन देते,प्यास बुझाते,माटी को मद-मस्त बनाते,श्याम बदरिया केलहराते के...

Tan Gayi Reedh | Nagarjun

तन गई रीढ़ | नागार्जुनझुकी पीठ को मिलाकिसी हथेली का स्पर्शतन गई रीढ़महसूस हुई कन्धों कोपीछे से,किसी नाक की सहज उष्ण निराकुल साँसेंतन गई रीढ़कौंधी कहीं चितवनरंग गए कहीं...

Mrityu | Vishwanath Prasad Tiwari

मृत्यु  -  विश्वनाथ प्रसाद तिवारी मेरे जन्म के साथ ही हुआ थाउसका भी जन्म...मेरी ही काया में पुष्ट होते रहेउसके भी अंगमें जीवन-भर सँवारता रहा जिन्हेंऔर ख़ुश होता रहाकि य...

Ichhaon Ka Ghar | Anjana Bhatt

इच्छाओं का घर | अंजना भट्टइच्छाओं का घर- कहाँ है?क्या है मेरा मन या मस्तिष्क या फिर मेरी सुप्त चेतना? इच्छाएं हैं भरपूर, जोरदार और कुछ मजबूरपर किसने दी हैं ये इच्छाएं?...

Swadesh Ke Prati | Subhadra Kumari Chauhan

स्वदेश के प्रति / सुभद्राकुमारी चौहानआ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ,स्वागत करती हूँ तेरा।तुझे देखकर आज हो रहा,दूना प्रमुदित मन मेरा॥आ, उस बालक के समानजो है गुरुता का अधिक...

Apni Devnagri Lipi | Kedarnath Singh

अपनी देवनागरी लिपि | केदारनाथ सिंहयह जो सीधी-सी, सरल-सीअपनी लिपि है देवनागरीइतनी सरल हैकि भूल गई है अपना सारा अतीतपर मेरा ख़याल है'क' किसी कुल्हाड़ी से पहलेनहीं आया था...

Dhela | Uday Prakash

ढेला | उदय प्रकाश वह था क्या एक ढेला थाकहीं दूर गाँव-देहात से फिंका चला आया थादिल्ली की ओररोता था कड़कड़डूमा, मंगोलपुरी, पटपड़गंज मेंखून के आँसू चुपचापढेले की स्मृति म...

O Mandir Ke Shankh, Ghantiyon | Ankit Kavyansh

ओ मन्दिर के शंख, घण्टियों | अंकित काव्यांशओ मन्दिर के शंख, घण्टियों तुम तो बहुत पास रहते हो,सच बतलाना क्या पत्थर का ही केवल ईश्वर रहता है?मुझे मिली अधिकांशप्रार्थनाएँ ...

Tum Aayin | Kedarnath Singh

तुम आईं | केदारनाथ सिंहतुम आईंजैसे छीमियों में धीरे- धीरेआता है रसजैसे चलते-चलते एड़ी में काँटा जाए धँसतुम दिखींजैसे कोई बच्चासुन रहा हो कहानीतुम हँसीजैसे तट पर बजता ह...

Raat Kati Din Tara Tara | Shiv Kumar Batalvi

रात कटी गिन तारा तारा  - शिव कुमार बटालवीअनुवाद: आकाश 'अर्श'रात कटी गिन तारा तारा हुआ है दिल का दर्द सहारा रात फुंका मिरा सीना ऐसा पार अर्श के गया शरारा आँखें हो गईं आ...

Apne Purkhon Ke Liye | Vishwanath Prasad Tiwari

अपने पुरखों के लिए | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी इसी मिट्टी मेंमिली हैं उनकी अस्थियाँअँधेरी रातों मेंजो करते रहते थे भोर का आवाहनबेड़ियों में जकड़े हुएजो गुनगुनाते रहते थे ...

Amaltaash | Anjana Verma

अमलताश | अंजना वर्माउठा लिया है भारइस भोले अमलताश नेदुनिया को रौशन करने काबिचारा दिन में भीजलाये बैठा है करोड़ों दीये!न जाने किस स्त्री नेटाँग दिये अपने सोने के गहनेअम...

Atyachari ke Pramaan | Manglesh Dabral

अत्याचारी के प्रमाण | मंगलेश डबराल अत्याचारी के निर्दोष होने के कई प्रमाण हैं उसके नाखुन या दाँत लम्बे नहीं हैंआँखें लाल नहीं रहती...बल्कि वह मुस्कराता रहता हैअक्सर अप...

Main Shamil Hun Ya Na Hun | Nasira Sharma

मैं शामिल हूँ या न हूँ |  नासिरा शर्मा मैं शामिल हूँ या न हूँ मगर हूँ तो इस काल- खंड की चश्मदीद गवाह!बरसों पहले वह गर्भवती जवान औरतगिरी थी, मेरे उपन्यासों के पन्नों पर...

Ambapali | Vishwanath Prasad Tiwari

अम्बपाली  | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी मंजरियों से भूषितयह सघन सुरोपित आम्र काननसत्य नहीं है, अम्बपाली !-यही कहा तथागत नेझड़ जाएँगी तोते के पंख जैसी पत्तियाँठूँठ हो जाएँगी ...

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