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Uska Chehra | Rajesh Joshi

उसका चेहरा | राजेश जोशी अचानक गुल हो गयी बत्तीघुप्प अँधेरा हो गया चारों तरफउसने टटोल कर ढूँढी दियासलाईऔर एक मोमबत्ती जलाईआधे अँधेरे और आधे उजाले के बीचउभरा उसका चेहरान...

Gol Pathar | Naresh Saxena

 गोल पत्थर | नरेश सक्सेना नोकें टूटी होंगी एक-एक करतीखापन ख़त्म हुआ होगाकिस-किस से टकराया होगाकितनी-कितनी बारपूरी तरह गोल हो जाने से पहलेजब किसी भक्त ने पूजा या बच्चे ...

Saankal | Rajni Tilak

सांकल | रजनी तिलक चारदीवारी की घुटनघूँघट की ओटसहना ही नारीत्व तोबदलनी चाहिए परिभाषा।परम्पराओं का पर्यायबन चौखट की साँकलहै जीवन-सारतो बदलना होगा जीवन-सार।

Jharber | Kedarnath Singh

झरबेर | केदारनाथ सिंह प्रचंड धूप मेंइतने दिनों बाद (कितने दिनों बाद)मैंने ट्रेन की खिड़की से देखे कँटीली झाड़ियों परपीले-पीले फल’झरबेर हैं’- मैंने अपनी स्मृति को कुरेद...

Bachana | Rajesh Joshi

बचाना | राजेश जोशी एक औरत हथेलियों की ओट मेंदीये की काँपती लौ को बुझने से बचा रही हैएक बहुत बूढ़ी औरत कमज़ोर आवाज़ में गुनगुनाते हुएअपनी छोटी बहू को अपनी माँ से सुना ग...

Paas Aao Mere | Narendra Kumar

पास आओ मेरे | नरेंद्र कुमार पास आओ मेरेमुझे समझाओ ज़राये जो रोम-रोम में तुम्हारे नफ़रत रमी हैतुममें ऐसी क्या कमी है खुद से पूछो ज़रा खुद को बताओ ज़रा व्हाट्सएप की जानकारीट...

Jeevan Nahi Mara Karta Hai | Gopaldas Neeraj

जीवन नहीं मारा करता है | गोपालदस नीरज  छिप छिप अंश्रु बहाने वालों,मोती व्यर्थ लुटाने वालोंकुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।सपना क्या है, नयन सेज परसोया हु...

Pitaon Ke Baar Mein Kuch Chooti Hui Panktiyan | Kumar Ambuj

पिताओं के बारे में कुछ छूटी हुई पंक्तियाँ | कुमार अम्बुजएक दिन लगभग सभी पुरुष पिता हो जाते हैं जो नहीं होते वे भी उम्रदराज़ होकर बच्चों से, युवकों से इस तरह पेश आने लग...

Salamat Rahein | Deepika Ghildiyal

सलामत रहें | दीपिका घिल्डियाल सलामत रहें, सबके इंद्रधनुष,जिनके छोर चाहे कभी हाथ ना आएं, फिर भीसबके खाने के बाद, बची रहे एक रोटी,ताकि भूखी ना लौटे, दरवाज़े तक आई बिल्ली ...

Khushamadeed | Gagan Gill

ख़ुशआमदीद | गगन गिल दोस्त के इंतज़ार मेंउसने सारा शहर घूमाशहर का सबसे सुंदर फूल देखाशहर की सबसे शांत सड़क सोचीएक क़िताब को छुआ धीरे-धीरेउसे देने के लिएकोई भी चीज़ उसेख...

Tumhari Filon Mein Gaon Ka Mausam Gulabi Hai | Adam Gondvi

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है | अदम गोंडवी तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी हैमगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी हैउधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा ...

Ab Kabhi Milna Nahi Hoga Aisa Tha | Vinod Kumar Shukla

अब कभी मिलना नहीं होगा ऎसा था | विनोद कुमार शुक्ल अब कभी मिलना नहीं होगा ऎसा थाऔर हम मिल गएदो बार ऎसा हुआपहले पन्द्रह बरस बाद मिलेफिर उसके आठ बरस बादजीवन इसी तरह काजैस...

Ummeed Ki Chithi | Neelam Bhatt

उम्मीद की चिट्ठी | नीलम भट्ट उदासी भरे हताश दिनों मेंकहीं दूर खुशियों भरे देस सेमेरी दहलीज़ तक पहुंचे कोई चिट्ठी उम्मीद की कलम से लिखीस्नेह भरे दिलासे से सराबोर...मौत ...

Cigarette Peeti Hui Aurat | Sarveshwar Dayal Saxena

सिगरेट पीती हुई औरत | सर्वेश्वर दयाल सक्सेनापहली बार सिगरेट पीती हुई औरत मुझे अच्छी लगी। क्योंकि वह प्यार की बातें नहीं कर रही थी। —चारों तरफ़ फैलता धुआँ मेरे भीतर धधक...

Jiske Sammohan Mein Pagal Dharti Hai Aakash Bhi Hai | Adam Gondvi

जिसके सम्मोहन में पागल धरती है आकाश भी है | अदम गोंडवी | आरती जैनजिसके सम्मोहन में पागल धरती है, आकाश भी हैएक पहेली-सी दुनिया ये गल्प भी है, इतिहास भी हैचिंतन के सोपान...

Restaurant Mein Intezar | Rajesh Joshi

रेस्त्राँ में इंतज़ार | राजेश जोशी वो जिससे मिलने आई है अभी तक नहीं आया है वो बार बार अपना पर्स खोलती है और बंद करती है घड़ी देखती है और देखती है कि घड़ी चल रही है या न...

Patang | Arti Jain

पतंग | आरती जैनहम कमरों की कैद से छूटछत पर पनाह लेते हैंजहाँ आज आसमां परदो नन्हे धब्बे एक दूसरे संग नाच रहे हैं"पतंग? यह पतंग का मौसम तो नहीं"नीचे एम्बुलैंस चीरती हैं ...

Yatra | Naresh Saxena

यात्रा | नरेश सक्सेना नदी के स्रोत पर मछलियाँ नहीं होतीं शंख–सीपी मूँगा-मोती कुछ नहीं होता नदी के स्रोत पर गंध तक नहीं होती सिर्फ़ होती है एक ताकत खींचती हुई नीचे जो श...

Prem Ke Liye Faansi | Anamika

प्रेम के लिए फाँसी | अनामिका मीरा रानी तुम तो फिर भी ख़ुशक़िस्मत थीं,तुम्हें ज़हर का प्याला जिसने भी भेजा,वह भाई तुम्हारा नहीं थाभाई भी भेज रहे हैं इन दिनोंज़हर के प्याले!...

Bhadka Rahe Hain Aag | Sahir Ludhianvi

भड़का रहे हैं आग | साहिर लुधियानवी भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागर से हमख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम।कुछ और बढ़ गए जो अँधेरे तो क्या हुआमायूस तो नहीं हैं तुलू-ए...

Koi Bas Nahi Jaata | Nandkishore Acharya

कोई बस नहीं जाता | नंदकिशोर आचार्यकोई बस नहीं जाता खंडहरों में लोग देखने आते हैं बस । जला कर अलाव आसपास उग आये घास-फूस और बिखरी सूखी टहनियों का एक रात गुज़ारी भी किसी ...

Agar Tum Meri Jagah Hotey | Nirmala Putul

अगर तुम मेरी जगह होते | निर्मला पुतुल ज़रा सोचो, कितुम मेरी जगह होतेऔर मैं तुम्हारीतो, कैसा लगता तुम्हें?कैसा लगताअगर उस सुदूर पहाड़ की तलहटी मेंहोता तुम्हारा गाँवऔर र...

Mann Bahut Sochta Hai | Agyeya

मन बहुत सोचता है | अज्ञेयमन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना रहा कैसे जाए? शहर के दूर के तनाव-दबाव कोई सह भी ले, पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव सहा कैसे जा...

Bhutha Baag | Kedarnath Singh

भुतहा बाग़ | केदारनाथ सिंह उधर जाते हुए बचपन में डर लगता थाराही अक्सर बदल देते थे रास्ताऔर उत्तर के बजायनिकल जाते थे दक्खिन से अबकी गया तो देखाभुतहा बाग़ में खेल रहे थे...

Aparibhashit | Ajay Jugran

अपरिभाषित | अजेय जुगरानबारह - तेरह के होते - होते कुछ बच्चेखो जाते हैं अपनी परिभाषा खोजते - खोजतेकिसी का मन अपने तन से नहीं मिलताकिसी का तन बचपन के अपने दोस्तों से।ये ...

Haath Thaamna | Tanmay Pathak

हाथ थामना | तन्मय पाठक तुम समंदर से बेशक़ सीखनागिरना उठना परवाह ना करनापर तालाब से भी सीखते रहनाकुछ पहर ठहर कर रहनातुम नदियों से बेशक़ सीखनाअपनी राह पकड़ कर चलनासंगम से भ...

Hitler Ki Chitrakala | Rajesh Joshi

हिटलर की चित्रकला | राजेश जोशीयह उम्मीस सौ आठ में उन दिनों की बात हैजब हिटलर ने पेन्सिल से एक शांत गाँव काचित्र बनाया थायह सन्‌ उन्‍नीस सौ आठ में उन दिनों की बात हैजब ...

Nadi Kabhi Nahi Sookhti | Damodar Khadse

नदी कभी नहीं सूखती | दामोदर खड़से पौ फटने से पहलेसारी बस्ती हीगागर भर-भरकरअपनी प्यासबुझाती रहीफिर भीनदी कुँवारी ही रहीक्योंकि,नदी कभी नहीं सूखती नदी, इस बस्ती की पूर्वज...

Din Dooba | Ramdarash Mishra

दिन डूबा | रामदरश मिश्रा दिन डूबा अब घर जाएँगेकैसा आया समय कि साँझेहोने लगे बन्द दरवाज़े देर हुई तो घर वाले भीहमें देखकर डर जाएँगेआँखें आँखों से छिपती हैं नज़रों में छुर...

Thithurtey Lamp Post | Adnan Kafeel Darvesh

ठिठुरते लैंप पोस्ट | अदनान कफ़ील दरवेशवे चाहते तो सीधे भी खड़े रह सकते थे लेकिन आदमियों की बस्ती में रहते हुए उन्होंने सीख ली थी अतिशय विनम्रता और झुक गए थे सड़कों पर आद...

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