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Shamil Hota Hun | Malay
शामिल होता हूँ | मलय मैं चाँद की तरहरात के माथे परचिपका नहीं हूँ,ज़मीन में दबा हुआगीला हूँ गरम हूँफटता हूँ अपने अंदरअंकुर की उठती ललक कोमहसूसतादेखने और रचने के सुख में...
In Sardiyon Mein | Manglesh Dabral
इन सर्दियों में | मंगलेश डबरालपिछली सर्दियाँ बहुत कठिन थींउन्हें याद करने पर मैं इन सर्दियों में भी सिहरता हूँ हालाँकि इस बार दिन उतने कठोर नहींपिछली सर्दियों में मेरी...
Atmahatya | Shashwat Upadhyay
आत्महत्या | शाश्वत उपाध्यायसात आसमानों के पार आठवें आसमान पर जहाँ आकर चाँद रुक जाता है सूरज की रौशनी पर टूटे सपनों के किरचें चमकते हैं दिन और रात की परिभाषायें रद्द हो...
Apne Bajaye | Kunwar Narayan
अपने बजाय | कुँवर नारायण रफ़्तार से जीते दृश्यों की लीलाप्रद दूरी को लाँघते हुए : या एक ही कमरे में उड़ते-टूटते लथपथ दीवारों के बीच अपने को रोक कर सोचता जब तेज़ से तेज...
Band Kamre Mein | Prabha Khaitan
बन्द कमरे में | प्रभा खेतान बन्द कमरे मेंमेरी सब चीज़ें अपना परिचय खोने लगती हैंदीवारों के रंग धूमिलनीले पर्दे फीकेछत पर घूमता पंखागतिहीन।तब मैं निकल पड़ती हूँ—बाहर,फुट...
Atmasweekar | Gaurav Singh
आत्मस्वीकार | गौरव सिंहजो अपराध मैंने किये,वो जीवन जीने की न्यूनतम ज़रूरत की तरह लगे!मैंने चोर निगाहों से स्त्रियों के वक्ष देखेऔर कई बार एक लड़की का हृदय ना समझ सकने की...
Chattan Ko Todo, Vah Sunder Ho Jayegi
चट्टान को तोड़ो वह सुंदर हो जाएगी | केदारनाथ सिंह चट्टान को तोड़ो वह सुंदर हो जाएगी उसे और तोड़ो वह और, और सुंदर होती जाएगी अब उसे उठाओ रख लो कंधे पर ले जाओ किसी शहर य...
Achanak Nahi Gayi Ma | Vishwanath Prasad Tiwari
अचानक नहीं गई माँ | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अचानक नहीं गई माँ जैसे चला जाता है टोंटी का पानी या तानाशाह का सिंहासन थोड़ा-थोड़ा रोज गई वह जैसे जाती है कलम से स्याही जैसे...
Sach Choocha Hota Hai | Amitava Kumar
सच छूछा होता है।- अमिताव कुमार महात्मा गाँधी की आत्मकथा मेंमौसम का कहीं ज़िक्र नहीं,लंदन की किसी ईमारत यासड़क के बारे में कोई बयान नहीं,किसी कमरे की, कभी एकत्रित भीड़ ...
Gaon Gaya Tha, Gaon Se Bhaaga | Kailash Gautam
गाँव गया था, गाँव से भागा | कैलाश गौतम गाँव गया थागाँव से भागा।रामराज का हाल देखकरपंचायत की चाल देखकरआँगन में दीवाल देखकरसिर पर आती डाल देखकरनदी का पानी लाल देखकरऔर आँ...
Kavi Ki Atmahatya | Devansh Ekant
कवि की आत्महत्या | देवांश एकांत अभिनेता अभिनय करते-करते मृत्यु का मंचन करने लगता हैआप उन्मत्त होते हैं अभिनय देखपीटना चाहते हैं तालियाँ मगर इस बार वह नही उठताक्योंकि ज...
Khudaon Se Keh Do | Kishwar Naheed
ख़ुदाओं से कह दो | किश्वर नाहीद जिस दिन मुझे मौत आएउस दिन बारिश की वो झड़ी लगेजिसे थमना न आता हो,लोग बारिश और आँसुओं मेंतमीज़ न कर सकेंजिस दिन मुझे मौत आएइतने फूल ज़मी...
Pushp Ki Abhilasha | Makhanlal Chaturvedi
पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदीचाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ। चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥ चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि...
Tera Naam Nahi | Nida Fazli
तेरा नाम नहीं | निदा फ़ाज़ली तेरे पैरों चला नहीं जोधूप छाँव में ढला नहीं जोवह तेरा सच कैसे,जिस पर तेरा नाम नहीं?तुझसे पहले बीत गया जोवह इतिहास है तेरातुझको ही पूरा करन...
Gawaiyya | Shahanshah Alam
गवैया | शहंशाह आलम गवैया अपनी पीड़ा को पूरी लय के साथ गाता हैआज वह न दुःख को बाँधता है न उदासी कोन धूप को न बादल को न अपनी आत्मा कोगवैया सेतु को गाता है उसके नीचे बहते...
Sharton Par Tika Hai Mera Prem | Anupam Singh
शर्तों पर टिका है मेरा प्रेम | अनुपम सिंह मुझसे प्रेम करने के लिए तुम्हें शुरू से शुरू करना होगा पैदा होना होगा स्त्री की कोख से उसकी और तुम्हारी धड़कन धड़कनी होगी एक ...
Vo Kahan Hain Jo Kavita Likhti Hain | Rupam Mishra
वो कहाँ हैं जो कविता लिखती हैं | रूपम मिश्र वे बहुत दिन बाद आए हैं भइया के सखा हैं तो रवायतन मेरे भइया हैं किसी पत्रिका में मेरी कविता पढ़ अभिभूत हैंभइया से अक्सर मेरा...
Purusharth | Shraddha Upadhyay
पुरुषार्थ | श्रद्धा उपाध्यायक्या पुरुषार्थ के अधिकार क्षेत्र में शामिल हैं औरतें जो रचाती हैं रास औरतें जो पकड़ी रहती हैं आस औरतें जो अग्नि में तप्ती हैं औरतें जो मूड ...
Mithai Banane Wale | Shashwat Upadhyay
मिठाई बनाने वाले | शाश्वत उपाध्याय जब दुनिया बनीतो सबसे पहले बने मिठाई बनाने वालेहाथों में भर भर के चीनी की परतपरत भी ऐसी वैसी नहींएकदम गूलर का फूल छुआ केजितना खर्च हो...
Ukti | Suryakant Tripathi 'Nirala'
उक्ति | सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाकुछ न हुआ, न हो। मुझे विश्व का सुख, श्री, यदि केवल पास तुम रहो ! मेरे नभ के बादल यदि न कटे— चंद्र रह गया ढका, तिमिर रात को तिरकर यदि ...
Angor | Jacinta Kerketta
अंगोर | जसिंता केरकेट्टाशहर का अंगार जलता है, जलाता है फिर राख हो जाता है। गाँव के अंगोर एक चूल्हे से जाते हैं दूसरे चूल्हे तक और सभी चूल्हे सुलग उठते हैं।
Hawa Mein Pul | Madan Kashyap
हवा में पुल | मदन कश्यपहवा में पुल थाइसीलिए हवा का पुल था क्योंकि हवा का पुल ही हवा में हो सकता था (आप चाहें तो इस पाठ को बदल सकते हैं, वह इस प्रकार:हवा का पुल था इसील...
Kavita | Damodar Khadse
कविता | दामोदर खड़सेसमयजब कहींगिरवी हो जाता हैसाँसें तबकितनी भारी हो जाती हैंआसपास दिखता नहीं कुछ भीकेवल देह दौड़ती हैबरसाती बादलों की तरह हाँफना भी भुला देती है थकान!ऐ...
Laut Ke Wapas Aana | Shrey Karkhur
लौट के वापस आना | श्रेय कारखुर मेरी भाषा के एक बुजुर्ग कवि ने कहा है कि घर बाहर जाने के लिए उतना नहीं होता जितना लौट के वापस आने के लिए होता हैमैंने हमेशा इन पंक्तियों...
Apradh | Leeladhar Jagudi
अपराध | लीलाधर जगूड़ी जहाँ-जहाँ पर्वतों के माथे थोड़ा चौड़े हो गए हैं वहीं-वहीं बैठेंगे फूल उगने तक एक-दूसरे की हथेलियाँ गर्माएँगे दिग्विजय की ख़ुशी में मन फटने तक देह...
Sangatkaar | Manglesh Dabral
संगतकार | मंगलेश डबरालमुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी वह मुख्य गायक का छोटा भाई है या उसका शिष्य या पैदल चलकर सीखने...
Naye Tarah Se | Shashwat Upadhyay
नए तरह से लैस होकर आ गई है नई सदी | शाश्वत उपाध्याय जो दिख नहीं रही मनिहारिन,उसके चूड़ियों का बाज़ारबेड़ियों के भेंट चढ़ गया है।मोतियों की दुकान सेसीपियों ने रार ठान लिया ...
Pramaan Patra | Archana Verma
प्रमाणपत्र - अर्चना वर्मा लक्षणों की किताब से उसनेचुन लिया एक रोग और उसे जीवन का भोग बना लियाउसके पास भी था आखिरकार दिखाने के लिए एक घाव वह उसे चाव से सहलाते हुए पालन...
Ma Ka Chehra | Krishna Kalpit
माँ का चेहरा | कृष्ण कल्पित जब छीन ली जाएगी हमसे एक-एक स्मृति जब किसी के पास कुछ नहीं बचेगा पीतल के तमग़ों के सिवाजब सब कुछ ठहर जाएगा एक-एक पत्ता झर जाएगा सब पत्थर हो ज...
Rekhte Mein Kavita | Uday Prakash
रेखते में कविता | उदय प्रकाश जैसे कोई हुनरमन्द आज भी घोड़े की नाल बनाता दीख जाता है ऊँट की खाल की मसक में जैसे कोई भिश्ती आज भी पिलाता है जामा मस्जिद और चाँदनी चौक में...